अमेरिका में नस्लवाद पर सेरेना विलियम्स बोली, नस्लवादी हिंसा पर अब मैं चुप नहीं रह सकती।

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मशहूर टेनिस प्लेयर सेरेना विलियम्स अमेरिका में अश्वेत नागरिकों की मौत पर उठे हंगामों पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। सेरेना विलियम्स ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा अब वे पुलिस द्वारा अफ्रीकी-अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाने की घटनाओं पर ज्यादा मुखर होकर बात करेंगी। उन्होंने मार्टिन लूथर किंग के कथन, ‘वह समय आ गया है, जब चुप रहना धोखा है’ का उल्लेख करते हुए उन्होंने लिखा है कि ‘अब मैं चुप नहीं रह सकती’। अमेरिका में पुलिस द्वारा अश्वेत नागरिकों को निशाना बनाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है।

फेसबुक पोस्ट में सेरेना विलियम्स एक अनुभव का जिक्र करते हुए बताया कि ‘मैं अपने भतीजे के साथ कार से जा रही थी। थोड़ी दूर पर सड़क किनारे पुलिसकर्मी को देखा। मैंने तुरंत जांचा कि गाड़ी की रफ्तार ठीक है या नहीं। इसके बाद मुझे उस महिला का डरावना वीडियो याद आ गया जिसमें पुलिसवालों ने उसके सामने ही उसके दोस्त को कार में गोली मार दी थी।’ उन्होंने यह भी लिखा कि ये सारी बातें उनके दिमाग में फ्लेश-बैक की तरह सामने आ गई। महिला के साथ हुए जुल्म को मैं अपने साथ रिलेट करने लगी। सेरेना ने लिखा अगर मेरे भतीजे के साथ भी इसी तरह से नाइंसाफी होती तो क्या मैं अपने आप को कभी माफ कर पाती? जो पुलिस की गोली से मारे गये वे मासूम थे।

छह जुलाई को पुलिस ने मिनेसोटा के सेंट पॉल में फिलैंडो कैसटल का पीछा करके उन्हें गोली मार दी थी। खबरों के मुताबिक वे अपनी गर्लफ्रेंड के साथ कार से जा रहे थे। एक जगह उन्हें रोका गया और लाइसेंस दिखाने को कहा गया। इसी दौरान एक पुलिस अधिकारी ने उन्हें गोली मार दी। कैसटल की महिला मित्र द्वारा वीडियो फेसबुक पर डालने के बाद यह मामला सामने आया था। इसके बाद जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए। सेरेना ने इसी घटना से जुड़े वीडियो का जिक्र अपनी फेसबुक पोस्ट में किया है।

अमेरिका की पुलिस में नस्लवादी सोच के खिलाफ सवाल उठाने वालों में सेरेना पहली खिलाड़ी नहीं हैं। बाक्सिंग के मोहम्मद अली, बॉस्केटबॉल खिलाड़ी लेब्रॉन जेम्स फुटबाल खिलाड़ी कोलिन कीपरनिक ने देश में अश्वेत लोगों के उत्पीड़न का विरोध करते हुए समय समय पर आवाज उठाई है। अगस्त में फुटबाल खिलाड़ी कोलिन कीपरनिक ने देश में अश्वेत लोगों के उत्पीड़न की मुखालफत करते हुए राष्ट्रगान के समय खड़े होने से इंकार कर दिया था। बाद में कई और फुटबाल खिलाड़ियों ने उनका साथ दिया था।इतिहास में दर्ज है अमेरिका समाज अश्वेतों में सम्मान और बराबरी के लिए लंबा संघर्ष किया है।

अमेरिका में इससे पहले भी अश्वेत नागरिकों के जुलाई में लूसियाना के बैटन रोग में अश्वेत नागरिकों की हत्या के विरोध में निकाली गई रैली के दौरान तीन पुलिसकर्मियों को गोली मार दी गई थी। बीबीसी ने पुलिस द्वारा की जाने वाली हत्याओं की निगरानी करने वाले समूह ‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ हवाले से लिखा है कि इस साल अमेरिका में पुलिस ने 214 अश्वेत नागरिकों की हत्या की है। अमेरिका समाज बाहर से भले ही जितना प्रोगेसिव विचारों वाला लगे लेकिन उसकी जड़ो में अभी नस्लवादी सोच कायम है।