हैदराबाद 10 फ़रवरी: अमेरिका के सीनीयर सिफ़ारती ओहदेदार ने बताया कि हिन्दुस्तानी तलबा के ताल्लुक़ से अमेरीका में कोई बड़ा मसला नहीं है। तेलंगाना, आंध्र प्रदेश से ताल्लुक़ रखने वाले कई स्टूडेंट्स को अमेरीका से वापिस भेज देने के मसले पर उन्होंने कहा कि चंद माह पहले एसे वाक़ियात हुए है लेकिन उनको फ़ौरी दुरुस्त कर लिया गया है।
नायब अमेरीकी सफ़ीर बराए हिंद माईकल ने हैदराबाद में मीडिया से तबादला-ए-ख़्याल के दौरान कहा कि अमेरीका में हुसूल-ए-ताअलीम के ख़ाहां हिन्दुस्तानी स्टूडेंट्स का हमेशा ख़ौरमक़दम किया जाता रहा है लेकिन स्टूडेंट्स के अस्नादात-ओ-दुसरे दस्तावेज़ात बिलकुल दरुस्त होने चाहीए।
उन्होंने बताया कि स्टूडेंट्स वीज़ा हुसूल के लिए पाँच मरहले हैं जिसमें अहम मरहला अमेरीकी तालीमीइदारे का इंतेख़ाब है। उन्होंने कहा कि 9000 अमेरीकी तालीमी इदारों को बैरूनी तलबा के दाख़िलों के लिए I-20 फ़ार्म देने की सहूलत है। माईकल ने तेलंगाना-ओ-आंध्र प्रदेश से ताल्लुक़ रखने वाले तलबा को ये हिदायत दि है कि वो मयारी अमेरीकी तालीमी इदारे का इंतेख़ाब करे और इस में दाख़िले को यक़ीनी बनाने के लिए दस्तावेज़ात और दुसरे कार्रवाई में बेहतर रखें।
माईकल ने बताया कि अमेरीका में तालीम हासिल करने वाले स्टूडेंट्स की फ़हरिस्त में हिन्दुस्तान को दूसरा मुक़ाम हासिल है और साल 2014-15 में 1,32,888 स्टूडेंट्स ने दाख़िले लिए हैं जिसके नतीजे में अमेरीकी मईशत को 3.6 बिलियन अमेरीकी डालर का फ़ायदा हुआ है ।नायब अमेरीकी सफ़ीर ने स्टूडेंट्स को ये हिदायत दि है कि www.educationusa.state.gov के ज़रीये तालीमी इदारों से मुताल्लिक़ तफ़सीलात हासिल की जा सकती है और इस वेब साईट के ज़रीये दरुस्त अमेरीकी यूनीवर्सिटी की निशानदेही में आसानी होती है।