अमेरिका में 2020 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में 2 उम्मीदवार भारतीय मूल की

अमेरिका में फरवरी 2020 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में 2 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिनके तार भारत से जुड़े हुए हैं। वो दो महिलाएं हैं तुलसी गबार्ड और कमला हैरिस जानते हैं इनके बारे में तफसील से…

तुलसी 2020 के चुनाव में राष्ट्रपति पद की प्रमुख दावेदार हैं और अमरीकी संसद में पहुंचने वालीं पहली हिंदू भी। तुलसी गबार्ड की उम्र महज 37 साल है और वह यूएस राष्ट्रपति बनने के दौर में शामिल होकर लाइमलाइट में आ चुकी हैं। जब तुलसी महज 2 बरस की थीं तो उनके पैरंट्स समोआ से हवाई आ गए। तुलसी जन्मजात हिंदू नहीं है। गबार्ड की मां कैरोल गबार्ड ने हवाई पहुंचकर हिंदू धर्म अपनाया था जबकि कैरोल के पिता माइक गब्बार्ड कैथलिक ही रहे। कैरोल के पिता राजनीति से जुड़े थे। वह हवाई के डिस्ट्रिक्ट 20 से डेमोक्रेटिक पार्टी से सिनेट के सदस्य थे। ऐसे में गबार्ड को राजनीति की एबीसीडी समझने का मौका घर में ही मिला। जब गबार्ड 15-16 साल की थीं तभी उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ एनजीओ की मदद से लोगों की सेवा शुरू कर दी। तुलसी ने अमरीका में सबसे युवा निर्वाचित प्रतिनिधि बनने का इतिहास रचा था। तब तुलसी महज 21 साल की थीं। तुलसी ने पहले कार्यकाल में क्लीन एनर्जी को बढ़ावा देते हुए ऐसे कानून बनाए जाने का समर्थन किया, जिससे पवन और सौर ऊर्जा के लिए ज़रूरी उत्पादों को टैक्स से छूट मिल सके।

दिलचस्प यह है कि डेमोक्रेटिक मेंबर बनने के बाद उन्होंने आर्मी जॉइन किया और देश की ओर से लड़ीं भी। वहां उन्होंने प्रमोशन भी हासिल किया और मेजर बन गईं। हवाई आर्मी नैशनल गार्ड सर्विस में शामिल होकर एक साल के लिए उन्होंने इराक युद्ध में अपनी सेवाएं दीं। साथ ही, 2011 में इंडोनेशियाई सेना के साथ पीसकीपिंग ट्रेनिंग में भी उन्होंने हिस्सा लिया। वह इन दिनों भले ही राजनीति में बहुत ज्यादा सक्रिय हैं, लेकिन आर्मी से अब भी जुड़ी हैं। वह फिलहाल हाउस की ताकतवर आर्म्ड सर्विस कमेटी और विदेश मामलों की कमेटी की सदस्य भी हैं।

तुलसी हिंदू धर्म को मानती तो हैं, लेकिन वह भारतीय नहीं हैं। यह भारत से उनका प्यार ही है कि वह वहां रहने वाले भारतीयों के बेहद करीब हैं। अमेरिकन यहुदियों के बाद भारतीय मूल के लोगों का ही वहां दबदबा है। जाहिर है, इस वजह से उन्हें पॉलिटिकल सर्कल में तुलसी को खासी तवज्जो मिलती है। भारत-अमेरिका के गहरे संबंधों की समर्थक तुलसी पिछले 4 बार से सांसद बन रही हैं। उनकी दिलचस्पी श्रीमद्भगवत गीता में भी काफी है। वह अमेरिका की पहली सांसद हैं जिन्होंने गीता के नाम पर शपथ ली थी। यह गीता मोदी ने उन्हें एक मुलाकात के दौरान दी थी।

मोदी के पीएम बनने के बाद दिसंबर 2014 में तुलसी भारत आई थीं। जब भारत ने दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव यूएन में रखा था तो उसके समर्थन में तुलसी खुलकर सामने आई थीं। वह अक्सर यह कहती हैं कि प्राचीन वैदिक ग्रंथों से ऐसे दिव्य ज्ञान हैं कि मॉडर्न वर्ल्ड अचंभित हो सकता है। जब कोई हिंदू भारत से बाहर किसी देश में सत्ता के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचता है या पहुंचने की कोशिश करता है तो भारतीय उसमें खूब दिलचस्पी दिखाते हैं। इन दिनों तुलसी भारत में इंटरनेट पर खूब सर्च की जा रही हैं।

पिछले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में भारतीय मूल के बॉबी जिंदल भी मैदान में थे, लेकिन चुनाव से कुछ हफ्ते पहले ही उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया था। जब जिंदल की तैयारियां जोरों पर थीं तो उनके लिए भारतीय मूल का होना परेशानी का सबब भी था। उन्हें सफाई देनी पड़ती थी कि मैं अमेरिकन ही हूं। तुलसी भारतवंशियों के बीच खासी लोकप्रिय हैं और बहुत अच्छी वक्ता भी हैं। आर्मी बैकग्राउंड होने और कम उम्र की वजह से युवा अमेरिकी उन्हें सुनते भी हैं। बावजूद इन सबके उनके लिए चुनौतियां काफी हैं। राष्ट्रवादी अमेरिकी उन्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं करते। तुलसी का हिंदू होना उन्हें खटक रहा है तो महिला होना भी। ऐसे में इन चुनौतियों से पार पाना तुलसी के लिए मुश्किल तो होगा ही। इनके अलावा एक चुनौती उन्हें भारतीय मूल की डेमोक्रेटिक सिनेटर कमला हैरिस से भी मिलेगी क्योंकि कमला ने भी राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने की घोषणा की है। वैसे अभी चुनाव में एक साल का वक्त है, देखना होगा तुलसी आगे क्या रणनीति अपनाती हैं!

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की भारतीय मूल की पहली महिला उम्मीदवार हैं। अमेरिका में भारतीय मूल की पहली सीनेटर कमला हैरिस बेहद जीवट वाली महिला हैं। 54 साल की हैरिस की मां श्यामला गोपालन तमिलनाडु की रहने वाली हैं। वह चेन्नै में साइंटिस्ट थीं। बाद में श्यामला कैलिफोर्निया में आगे की पढ़ाई के लिए चली गईं। कमला के पिता डोनाल्ड हैरिस मूल रूप से जमैका के रहने वाले हैं। कैलिफोर्निया यूनवर्सिटी में ही उनकी मुलाकात श्यामला से हुई। बाद में उन्होंने शादी कर ली। 1964 में कमला का जन्म हुआ। वह बचपन से ही अपनी बहन माया हैरिस के साथ हिंदू मंदिर भी जाती थीं और चर्च भी। कमला फिलहाल क्रिश्चियन हैं। जब वह महज 7 साल की थीं तभी उनके पैरंट्स के बीच तलाक हो गया। मां श्यामला ने कोर्ट में लड़ाई लड़कर बेटी को साथ रखने का अधिकार हासिल किया। अपनी मम्मी की मजबूत इच्छा शक्ति और अधिकार हासिल करने के उनके जज्बे को देखते हुए वह बड़ी हुईं। कमला ने 1989 में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के हेस्टिंग्स कॉलेज ऑफ द लॉ से 3 साल की ज्युरिस डॉक्टर की डिग्री हासिल की। अगले ही साल वह स्टेट बार ऑफ कैलिफोर्निया से जुड़ गईं। साल 2013 में कमला हैरिस तब अचानक ही लाइमलाइट में आ गई थीं जब तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा उनकी खूबसूरती की तारीफ कर मुश्किल में पड़ गए थे। दरअसल, ओबामा ने हैरिस की बुद्धिमत्ता के लिए उनकी प्रशंसा करते हुए उन्हें अमेरिका की सबसे सुंदर अटॉर्नी जनरल बताया था, लेकिन यह उन्हें उल्टा पड़ गया। हैरिस 2017 से कैलिफोर्निया से जूनियर यूनाइटेड स्टेट्स सिनेटर हैं। इससे पहले वह कैलिफोर्निया की 32वीं अटॉर्नी जनरल भी रहीं।

हैरिस ने राष्ट्रपति पद के चुनाव में डेमोक्रिट पार्टी का उम्मीदवार बनने की अपनी दावेदारी की घोषणा मार्टिन लूथर किंग जूनियर की जयंती पर की। हैरिस का कहना है कि मार्टिन लूथर की जिंदगी से उन्हें प्रेरणा मिलती है। तभी तो राष्ट्रपति चुने जाने के बाद वह एजुकेशन और हेल्थ सेक्टर पर खासतौर पर ध्यान देना चाहती हैं। वह बेहतर समाज और खुले विश्व की पैरवी करती हैं। तभी तो मीडिया उन्हें डॉनल्ड ट्रंप के खिलाफ डेमोक्रेट्स की सबसे बड़ी आवाज मानता है।

कमला हैरिस ने 20,000 समर्थकों के बीच अमेरिका के ऑकलैंड में राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने की घोषणा की। इन समर्थकों में भारतीय तो थे ही अमेरिका के मूल निवासियों की संख्या उनसे कहीं ज्यादा थी। कमला की अमेरिकन-अफ्रीकन कम्यूनिटी में इतनी अच्छी पैठ है कि यूएस में लोग उन्हें इंडिया से ज्यादा इसी कम्यूनिटी के करीब मानते हैं। ऐसे में माना जाता है कि हैरिस को उन विरोधों का सामना शायद ज्यादा न करना पड़े, जिनसे तुलसी गबार्ड को जूझना होगा। यह भी मुमकिन है कि हैरिस अपने इंडियन कनेक्शन को बहुत ज्यादा उभारें ही नहीं। बावजूद इसके माना जा रहा है कि भारतीय समुदाय के लोग कमला को जिताने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

कमला हैरिस के पीछे जनसमर्थन तो है ही, उन्हें यूएस मीडिया भी काफी पसंद करता है। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ओबामा के राष्ट्रपति बने रहने के दौरान मीडिया उन्हें ‘फीमेल अबोमा’ नाम से पुकारता था। तब यूएस के ही एक बड़े बिजनेसमैन ने उन्हें ‘फीमेल वर्जन ऑफ द प्रेजिडेंट’ कहा था। ये उपनाम उनके लिए चलन में आज भी हैं। कुछ हफ्ते पहले हुए यूएस में हुए एक ओपिनयन पोल में यह बात सामने आई कि अगर फौरन चुनाव हो जाए तो कमला हैरिस डॉनल्ड ट्रंप पर भारी पड़ सकती हैं। कमला की लोकप्रियता को इस ऐसे भी आंक सकते हैं कि साल 2020 के लिए अपनी राष्ट्रपति पद की दावेदारी की घोषणा करने के 24 घंटे के भीतर उन्होंने 15 लाख डॉलर का फंड जुटा लिया। हालांकि इन सबके बावजूद चुनौतियां बहुत हैं और देखना यह होगा कमला उन चुनौतियों से कैसे निबटती हैं।

राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के लिए कमला और तुलसी को प्राइमरी चुनावों में जीत हासिल करनी होगी। उनका मुकाबला डेमोक्रेटिक पार्टी के दर्जन भर सांसदों से हो सकता है।

गौरतलब है कि अमरीका में भारतीयों की आबादी महज एक प्रतिशत है। पिछले चुनाव में भारतीय मूल के 5 नेता अमेरिकी कांग्रेस में सदस्य बने। यह एक रेकॉर्ड है।

अमेरिकी राजनीति के शीर्ष पर फिलहाल कमला हैरिस, अमी बेरा, रोहित खन्ना, प्रमिला जयपाल और राज कृष्णमूर्ति फिलहाल भारतीयता का परचम लहरा रहे हैं। एमी बेरा और दलीप सिंह सौंध तो 3-3 बार अमेरिकी संसद का चुनाव जीत चुके हैं।