अमेरिकी सफीर नैन्सी पावेल का इस्तीफा

अमरीकी सफ़ीर बाराए हिंद नैन्सी पॉवेल ने आज एक ग़ैरमामूली क़दम उठाते हुए ओहदे से इस्तीफ़ा दे दिया जबकि हिंदुस्तान में आम इंतिख़ाबात की तैयारियां ज़ोर-ओ-शोर से जारी है, जिसमें नरेंद्र मोदी को विज़ारत-ए-उज़मा ओहदे के लिए सब से आगे समझा जा रहा है । उन्होंने यहां अमरीकी मिशन में अपने साथियों के सामने इस्तीफ़े का ऐलान उस वक़्त किया जब कि एक हफ़्ता क़ब्ल मीडीया में ये इत्तिलाआत दी जा रही थी कि ओबामा इंतिज़ामिया हिंदुस्तान के साथ मुआमेलात की बेहतरी के मक़सद से उन्हें एस ओहदे से हटा सकता है।

नैन्सी पॉवेल तीन साल से भी कम अर्सा से हिंदुस्तान में इस ओहदे पर फ़ाइज़ थीं। उन्होंने 31 मार्च को अमरीकी मिशन टाउन हाल मीटिंग में इस्तीफ़् का ऐलान किया और कहा कि वो अपना मकतूब इस्तीफ़ा सदर ओबामा को पेश कररही हैं। अब वो माह मई के ख़त्म से क़ब्ल अपने मकान डेलावेर वापिस होना चाहती हैं।

अमरीकी सिफ़ारतख़ाने की वेबसाईट ने आज रात ये इत्तिला दी। सिफ़ारतख़ाने के ज़राए ने 67 साला नैन्सी पॉवेल के इस फ़ैसले के बारे में क़ियास आराई से गुरेज़ किया है और उनके अचानक मुस्तफ़ी होकर अपने घर वापसी के बारे में कोई तब्सेरा नहीं किया। नैन्सी पॉवेल का ये इक़दाम ऐसे वक़्त देखने में आया जब कि हिंदुस्तान में इंतिख़ाबी अमल जारी है और वाशिंगटन को भी इंतिख़ाबी नताइज से गहिरी दिलचस्पी है।

एक हफ़्ता क़ब्ल मीडीया में ये क़ियास आराईयां की जा रही थीं कि नैन्सी पॉवेल को मौजूदा ओहदे से हटाकर किसी सियासी नुमाइंदे का तक़र्रुर किया जा सकता है क्योंकि ओबामा इंतिज़ामिया हिंदुस्तान के साथ तमाम मुआमलात को बेहतर बनाने की कोशिश कररहा है। रिपोर्ट में कहा गया था कि नैन्सी पॉवेल ने चीफ़ मिनिस्टर गुजरात नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात के ताल्लुक़ से पस-ओ-पेश का रवैया इख़तियार किया था और ये भी समझा जा रहा था कि वो यू पी ए की ख़ारिजा पालिसी इदारे से काफ़ी क़रीब है।

ऐसे वक़्त जबकि नरेंद्र मोदी को विज़राते उज़्मा के ओहदे के लिए पेश पेश तसव्वुर किया जा रहा है और वाशिंगटन ने मोदी से रवाबित इस्तिवार करने का फ़ैसला किया है, उस वक़्त नैन्सी पॉवेल ने 13 फ़बरोरी को नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की थी। इस तरह गुजरात लीडर के साथ 2002 माबाद गोधरा फ़सादात पर जारी 9 साल तवील बाईकॉट ख़त्म हुआ। अमरीका ने इस मुलाक़ात के ज़रिये अपना मौक़िफ़ अचानक तबदील कर दिया और मोदी के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाया गया हालाँकि इस से पहले अमरीका का ये मौक़िफ़ था कि मोदी से इस का कोई ताल्लुक़ नहीं। यही नहीं बल्कि 2005 में मुक़ामी क़ानून के तहत मोदी का वीज़ा भी मंसूख़ किया गया था। मज़हबी आज़ादी की संगीन ख़िलाफ़वर्ज़ी के मसले पर अमरीका ने ये क़दम उठाया और फिर उस ने अपनी पालिसी पर नज़रसानी से भी इनकार किया था लेकिन अब बदलते सियासी हालात में अमरीका की पालिसी भी मोदी के ताल्लुक़ से तबदील हो चुकी है।

योरोपी यूनीयन और बर्तानिया ने भी मोदी का बाईकॉट ख़त्म करते हुए इंतिख़ाबी हालात के मुताबिक़ चीफ़ मिनिस्टर गुजरात की तारीफ़-तहसीन शुरू करदी थी। नैन्सी पॉवेल के मुख़ालिफ़ीन हालिया देवयानी खोबर गाड़े मसले पर दोनों ममालिक के माबैन सिफ़ारती तात्तुल के मुआमले में भी उन्हें मौरिदे इल्ज़ाम क़रार दे रहे हैं। नैन्सी पॉवेल ने इस मसले की संगीनी और उस की वजह से बाहमी रवाबित पर होनेवाले असरात का अंदाज़ा नहीं किया था। इस दौरान ओबामा इंतिज़ामिया ने किसी इख़तिलाफ़ात की बिना मुस्ताफ़ी होने की इत्तिलाआत को मुस्तरद कर दिया और कहा कि इख़तिलाफ़ात के बारे में ख़बरों में कोई सच्चाई नहीं है बल्कि उन्होंने 37 साला कैरियर शानदार अंदाज़ में ख़त्म किया है।