अम्मा को सदा दिलों में बस कर रखेंगे गरीब लोग।

तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता यानि अम्मा के निधन के बाद से तमिलनाडु शौक़ में डूब हुआ है। इसके पीछे अम्मा द्वारा उनकी ज़रूरत का सामान उन्हें मुफ्त में देना और सस्ते में उनकी ज़रूरतों को पूरा करना भी एक कारण है. उनकी म्रत्यु पर गरीब लोगों का मातम मनाना इसके पीछे उनका आधे से ज़्यादा बजट गरीबो की सेवा में लगाया जाना है.

तमिलनाडु में बहुतायत में अम्मा ब्रांड मुफ्त उपहार और लोकोपकारी योजनाएं जयललिता के कार्यकाल की पहचान बन गई थीं। अम्मा कैंटीन से लेकर अम्मा जिम्नेजियम और पार्क तक सब उन्ही की देन है.

राज्य में मुफ्त उपहारों का बाँटने की शुरुआत का श्रेय तो करुणानिधि को जाता है। जयललिता ने भी यह उन्हीं से सीख , लेकिन उसी से उन्हें विधानसभा चुनावों में करारी मात भी दी। 2011 तथा 2016 में अम्‍मा गरीबों पर मुफ्त उपहारों की बौछार कर दी थी।

जयललिता इन उपहारों को मुफ्त उपहार के बजाय गरीबों के लिए नि:शुल्क सहायता अथवा सेवा कहना ज्यादा पसंद करती थीं। वर्ष 2006 में मुफ्त उपहारों की लड़ाई और भी तेज हो गई थी। तब करुणानिधि ने मुफ्त रंगीन टीवी आदि योजनाएं शुरू कर द्रमुक को सत्ता दिलवा दी थी लेकिन वर्ष 2011 और 2016 में जयललिता ने अपनी कल्याणकारी योजनाओं से वोटरों को लुभाकर सत्ता हासिल कर ली थी।

उन्होंने 2011 के विधानसभा चुनाव में मुफ्त चावल, छात्रों को लैपटाप, दुध देने वाली गाय, बकरी, मिक्सरग्राइंडर और मंगलसूत्र के लिए सोना सहित कई घोषणाएं की थीं और द्रमुक को पीछे पछाड़ दिया था।

जयललिता ने अम्मा कैंटीन, अम्मा मिनरल वाटर, अम्मा सीमेंट और अम्मा नमक जैसी सहायता योजनाओं से अपनी छवि को जनता के बीच मजबूत कर लिया था। वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव में तो घरेलू उपभोक्ताओं को 100 यूनिट मुफ्त बिजली, मुफ्त मोबाइल फोन और दो-पहिया वाहन के लिए महिलाओं को 50 फीसदी छूट की घोषणा कर उन्होंने अपनी छवि को उभारा।

32 साल पुरानी मान्यता जिसमे कहा जाता था कि “सत्तारूढ़ दल सत्ता में वापसी नहीं करता” इस कथन को गलत करार देते हुए 2016 में लगातार दूसरी बार सत्ता हासिल की।