इलहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ बंच ने आज उत्तर प्रदेश महकमा दाख़िला के आला ओहदेदारों को हिदायत दी कि वो अहाता अदालत में सख़्त तरीन सीक़्योरीटी इंतेज़ामात को यक़ीनी बनाएं की उनका यहां वुकला और जजस को खासतौर पर अयोध्या मुक़द्दमा से जुड़े हुए वुकला और जजस को ख़तरा दरपेश है ।
जस्टिस देवी प्रसाद सिंह और जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय पर मुश्तमिल एक डवीज़न बंच ने महकमा दाख़िला और सीक़्योरीटी एजेंसियों के आला ओहदेदारों की मौजूदगी में ये हुक्मनामा जारी किया । 22 मार्च को अदालत ने इन ओहदेदारों को तलब किया था ताकि वो हुकूमत की जानिब से किए जाने वाले इंतेज़ामात से अदालत को वाक़िफ़ करवा सकें ।
ये हुक्मनामा एक वकील रंजना अग्नीहोत्री की दरख़ास्त पर जारी किया गया जो राम जन्मभूमि । बाबरी मस्जिद मुक़द्दमा से जुड़े हुए हैं। दरख़ास्त गुज़ार ने ग्वालियर इन्सेदाद-ए-दहशतगर्दी दस्ता की एक रिपोर्ट की जानिब अदालत की तवज्जा मबज़ूल करवाई जिसमें कहा गया है कि वकील के इलावा अहाता अदालत में सीक्योरिटी इक़दामात किए जाने चाहिऐं।
दरख़ास्त गुज़ार ने कहा कि साबिक़ा हुक्मनामा के बाद ओहदेदारों बिशमोल प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम आर एम श्रिवास्तव अदालत में हाज़िर हुए और कहा कि जिन तीन जजेस ने बाबरी मस्जिद – राम जन्मभूमि मुक़द्दमा का फैसला सुनाया था उन्हें ज़ेड पुलिस सीक्योरीटी दी गई है । उन्होंने कहा कि अदालती अहकाम की वजह से उन्हें भी सीक़्योरीटी फ़राहम कर दी गई है ।