अयोध्या में ज्यों की त्यों हालत बरक़रार रखी जाये

नई दिल्ली, 29 जनवरी । ( पी टी आई ) सुप्रीम कोर्ट ने आज वाज़िह कर दिया कि अयोध्या में मुतनाज़ा ख़ित्ता अराज़ी से मुत्तसिल 67 एकड़ अराज़ी पर ज्यों की त्यों हालत बरक़रार रखी जाये और यहां कोई भी दख़ल अंदाज़ी ना की जाये । जबकि इसके क़ुरब-ओ-ज्वार में खुदाई की कार्रवाई की जाएगी ।

जस्टिस आफ़ताब आलम और जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई पर मुश्तमिल सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि ज्यों की त्यों हालत बरक़रार रहेगी, जबकि खुदवाई का काम किया जाएगा । इस हालत में कोई दख़ल अंदाज़ी नहीं की जाएगी । त्रिपाल और रस्सियों को आरिज़ी राम मंदिर से तब्दील करने की ख़ाहिश के साथ दाख़िल की गई दरख़ास्त से मुताल्लिक़ा मसाइल की समाअत करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने ये हिदायत जारी की।

दो अदालती ओहदेदारों को जिन्हें इलहाबाद हाइकोर्ट की हिदायत पर 2003 से इस मुक़ाम के दौरों केलिए मुक़र्रर किया गया था , उनकी ज़िम्मेदारी से सबकदोश कर दिया गया । ये ओहदेदार अयोध्या में ताज़ा तरीन सूरत-ए-हाल पर निगरानी के भी ज़िम्मेदार थे । हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार ने एक दरख़ास्त पेश करते हुए कहा था कि , मुतनाज़ा राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद के मुक़ाम से मुताल्लिक़ मसाइल क्योंकि अब सुप्रीम कोर्ट के इजलास पर ज़ेर समाअत है इसलिए दोनों ओहदेदारों को जिनका तक़र्रुर हाइकोर्ट के कमिश्नर के हुक्म पर किया गया था उनके फ़राइज़ से सबकदोश कर दिए जाएं।

ज़िला फ़ैज़ाबाद के कमिश्नर ने ये भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट की जानिब से त्रिपाल और रस्सियों को आरिज़ी मंदिर में तब्दील करने के काम के लिए सुप्रीम कोर्ट से इजाज़त हासिल करना ज़रूरी है । अदालत की बंच से कहा गया था कि क़ब्ल अज़ीं हाइकोर्ट के हुक्म पर उसे काम अंजाम दीए गए थे ।

मुक़द्दमा की समाअत 18 फरवरी को मुक़र्रर करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बंच ने कहा कि इम्कान है कि वो दरख़ास्तों में की हुई गुज़ारशात की इजाज़त देदेगी लेकिन इस मुक़द्दमा में मज़ीद दख़ल अंदाज़ी की इजाज़त नहीं देगी ।

त्रिपाल और रस्सियों की तब्दीली की इजाज़त दी जा सकती है लेकिन ज्यों की त्यों हालत में कोई तब्दीली नहीं आनी चाहीए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कई दरख़्वास्तें इलहाबाद हाइकोर्ट के फैसले को चैलेंज करते हुए दाख़िल की गई है । इलहाबाद हाइकोर्ट ने अयोध्या की अराज़ी 3 फ़रीक़ों में तक़सीम करने का फैसला सुनाया था जिस पर 30 सितंबर 2010 को हुक्म अलतवी जारी किया गया ।

9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के 3 फ़रीक़ैन में मुतनाज़ा अराज़ी की तक़सीम के फैसले को अजीब-ओ-गरीब क़रार देते हुए इस पर हुक्म अलतवी जारी किया और कहा कि कोई भी फ़रीज़ अराज़ी की तक़सीम का मुतालिबा नहीं कर सकता । ज्यों का त्यों हालत बरक़रार रखने का हुक्म दिया गया जिसका मतलब ये था कि आरिज़ी राम मंदिर में जो अयोध्या की मुतनाज़ा अराज़ी पर क़ायम किया गया है पूजा हसब-ए-मामूल जारी रहेगी ।

अदालत ने मतसला 67 एकड़ अराज़ी पर किसी भी किस्म की मज़हबी सरगर्मी पर इम्तिना आइद कर दिया । इस अराज़ी को मर्कज़ ने अपनी तहवील में ले लिया है । अदालत ने कहा कि मुक़द्दमा के तमाम फ़रीक़ों ने 9 मई के सुप्रीम कोर्ट के हुक्म पर इज़हार इत्मीनान किया है ।