नई दिल्ली 27 नवंबर:मर्कज़ी वज़ीर थावर चाँद गेहलोट ने यकसाँ सिविल कोड पर अमल, अयोध्या में राम मंदिर की तामीर और जम्मू-ओ-कश्मीर को ख़ुसूसी मौक़िफ़ की हामिल दफ़ा 370 की तंसीख़ की भरपूर वकालत की।
उन्होंने लोक सभा में डॉ बी आर अंबेडकर की 125 वीं यौमे पैदाइश के मौके पर दस्तूरी अह्द पर मबाहिस में हिस्सा लेते हुए कहा कि अयोध्या में राम मंदिर था, है और बनेगा। उन्होंने राम मंदिर का हवाला देते हुए कांग्रेस पर दस्तूर में फ़राहम गुंजाइश के बे-जा इस्तेमाल का इल्ज़ाम आइद किया और इस ज़िमन में मुक़द्दमात का भी हवाला दिया।
अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद की शहादत का ज़िक्र करते हुए मर्कज़ी वज़ीर ने कहा कि उत्तरप्रदेश में जिस वक़्त ये वाक़िया पेश आया, उस वक़्त कांग्रेस हुकूमत ने हिमाचल प्रदेश, राजिस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात की असेंबलीयों को भी तहलील कर दिया था।
उन्होंने जानना चाहा कि एसा क्युं किया गया था? दफ़ा 370 का हवाला देते हुए वज़ीर समाजी इन्साफ़ ने कहा कि दस्तूर साज़ों ने ये आरिज़ी गुंजाइश फ़राहम की थी और उन्होंने इस्तिफ़सार किया कि रियासत को अब भी ख़ुसूसी मौक़िफ़ क्युं हासिल है और किसी मर्कज़ी वज़ीर-ए-क़ानून की अमल आवरी के लिए अलाहिदा आलामीया क्युं जारी किया जाता है।
क्या जम्मू-ओ-कश्मीर पार्लियामेंट से बालातर है? हमें इस बारे में ग़ौर करना चाहीए और जिस क़दर जल्द मुम्किन हो सके दफ़ा 370 को मंसूख़ किया जाना चाहीए।
मुल्क में यकसाँ सिविल कोड की ताईद करते हुए गेहलोट ने सवाल किया कि मुख़्तलिफ़ फ़िर्क़ों के लिए अलाहिदा क़ानून क्युं होना चाहीए? हर मुल्क में यकसाँ क़ानून पर अमल किया जाता है।यहां तक के सुप्रीमकोर्ट ने भी यकसाँ सिविल कोड के सिलसिले में हुकूमत की राय तलब की है।