लखनऊ : अयोध्या विवाद को सुलझाने की पहल करते हुए श्रीश्री रविशंकर ने अपने आश्रम में शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी से मुलाकात की. वसीम रिजवी लखनऊ से बेंगलुरु पहुंचे और आश्रम में ही रात भर रहे. आज सुबह करीब आधे घंटे की मुलाकात के बाद शिया वक्फ बोर्ड के प्रमुख वसीम रिजवी ने कहा कि देश में शांति चाहनेवाले लोग पहल की तारीफ कर हैं और जो लोग देश में हिंसा चाहते हैं, वही खिलाफ हैं.
उन्होंने कहा कि अब वहां कोई मस्जिद नहीं है. सिर्फ मंदिर है. वहां पर कई मस्जिद हैं, जहां नमाज पढ़ी जा सकती है. साथ ही कहा कि राम के नाम पर देश में लड़ाई ठीक नहीं है. गिने-चुने मौलवियों को छोड़ कर सभी लोग समस्या का समाधान चाहते हैं. शिया वक्फ तय करता है कि मस्जिद कहां बनेगी. उन्होंने कहा कि जल्द ही बातचीत के जरिये इस मुद्दे का समाधान निकाल लिया जायेगा. मालूम हो कि हाल ही में शिया वक्फ बोर्ड ने राम मूर्ति के लिए चांदी के 10 तीर देने का ऐलान किया था.
श्रीश्री रविशंकर ने राम मंदिर मुद्दे का हल निकालने के लिए की गयी अपनी पहल पर उन्होंने स्पष्ट किया कि यह मेरा निज प्रयास हैं. इसका कोई राजनीति से जुड़ा हुआ मामला नहीं है. राम मंदिर मुद्दे को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मुफ्ती एजाज कासमी ने श्रीश्री रविशंकर से बेंगलुरू में मुलाकात की थी. इस दौरान निर्मोही अखाड़े के लोग भी वहां मौजूद थे. हालांकि, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड श्रीश्री रविशंकर से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के किसी सदस्य का मुलाकात करने से इनकार किया. लेकिन, एक ही मंच पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मुफ्ती एजाज कासमी, श्रीश्री रविशंकर और निर्मोही अखाड़े के लोगों की सामने आयी एक तस्वीर मुलाकात का सबूत दे रही है.
राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे भाजपा के पूर्व सांसद राम विलास वेदांती ने अयोध्या मुद्दे के समाधान में आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रवि शंकर की मध्यस्थता प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था. संभल में सोमवार को कल्कि महोत्सव में हिस्सा लेने आये राम जन्मभूमि न्यास के सदस्य वेदांती ने कहा था कि ”श्रीश्री इस आंदोलन से कभी जुड़े नहीं रहे, इसलिए उनकी मध्यस्थता मंजूर नहीं.” वेदांती ने दोहराया, श्रीश्री रवि शंकर की मध्यस्थता किसी भी हालत में स्वीकार नहीं की जायेगी.
राम जन्मभूमि आंदोलन राम जन्मभूमि न्यास और विश्व हिंदू परिषद ने लड़ा है, इसलिए वार्ता का अवसर भी इन दोनों संगठनों को मिलना चाहिए.उन्होंने कहा कि श्रीश्री रवि शंकर कभी भी राम जन्म भूमि आंदोलन से जुड़े ही नहीं रहे, तो वह कैसे मध्यस्थता कर सकते हैं.