अयोध्या से मुत्तसिल 10 अज़ला में मस्जिद बनाने पर पाबंदी

नई दिल्ली : शाही इमाम मस्जिद फ़तह पूरी दिल्ली मौलाना डाँक्टर मुफ़्ती मुहम्मद मुकर्रम अहमद ने नमाज़े जुमा से क़बल ख़िताब में मुसलमानों से अपील की कि माह शाबान में रमज़ान उल-मुबारक की तैयारीयों का एहतेमाम करें और ज़कात व‌ ख़ैरात शाबान के महीना में ज़रूरतमंद मुस्तहिक़ गरीबों तक पहुंचाएं।

उन्होंने कहा कि 2 जून को शब्बेब‌रा॔त में शब बेदारी तौबा इस्तिग़फ़ार का एहतेमाम करें और बाज़ारों में वक़्त ज़ाया ना करें। शाही इमाम ने बल्लभ गढ़ के अटाली गाँव‌ में 25 मई से जारी शरपसंद फ़िर्ख़ापरस्त अनासिर के मुसलमानों पर हमलों और मस्जिद में तोड़ फोड़ करने की शदीद मज़म्मत की।

हो लंबी कलां मेट्रो विहार फ़ैज़ 2 की मस्जिद में शर पसंदाना कार्रवाई की मज़म्मत की और दो रोज़ क़बल एक फ़िर्ख़ापरस्त तंज़ीम के इस चैलेंज की मज़म्मत की जिस में उन्होंने फैसला लिया है कि अयोध्या के मुल्हिक़ दस अज़ला में कोई भी मस्जिद बनाने की इजाज़त नहीं दी जाएगी।

शाही इमाम ने कहा कहपहले लव‌ जिहाद और घर वापसी प्रोग्राम चलाए गए और अब मस्जिदों की तोड़ फोड़ और मुसलमानों पर हमले और बिला वजह फ़िर्कावाराना फ़सादात‌ बरपा कर के उनके जान-ओ-माल को शदीद ख़तरा लाहक़ है दूसरी तरफ़ वज़ीरे आज़म कहते हैं कि मज़हबी नफ़रत और तशद्दुद नहीं होने देंगे।

उन्होंने मर्कज़ी और रियासती हुकूमतों से शरपसंदों की गिरफ़्तारी, मुसलमानों के जान-ओ-माल की हिफ़ाज़त और मुआवज़ो़ का मुतालिबा नीज़ मस्जिदों की बेहुर्मती करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई का मुतालिबा किया। शाही इमाम ने मिस्टर पी चिदम़्बरम के बयान पर शदीद रद्द-ए-अमल का इज़हार करते हुए कहा कि वो अब कहते हैं कि मुसलमानों के साथ पिछले 60 साल में ना इंसाफ़ी हुई है यही तो जस्टिस सच्चर और जस्टिस मिसरा ने कहा है।

उन्होंने हुकूमत से मुतालिबा किया कि मज़हब के नाम पर इम्तियाज़ और ना इंसाफ़ी को बंद कराया जाये जिस का वो बार बार ऐलान करचुकी है। शाही इमाम ने मशरिक़ वुसता में चल रही बदअमनी और किशत ख़ून को बंद कराने की अपील करते हुए अरब और मुस्लिम मुल्कों से इत्तेहाद क़ायम करते हुए बदअमनी को ख़त्म करने का पाएदार हल तलाश करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।

शाही इमाम ने कहा कि मिस्र में गैर मुंसिफ़ाना फैसले मज़हब इस्लाम के सियासी बाब पर बदनुमा दाग़ हैं मुंतख़ब सदर मुहम्मद मर्सी को सज़ाए मौत सुनाना ये फैसला भी ज़ाती इंतेक़ाम पर मबनी और गैर मुंसिफ़ाना है मुफ़्ती-ए-आज़म जम्हूरीया मिस्र को इस फैसले को कुलअदम कराते हुए इंसाफ़ करना चाहिए ।