अरब देशों को मात देने के लिए क़तर ने उठाया यह कदम!

क़तर को अब बहरीन, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और मिस्र के साथ राजनयिक संबंधों को खत्म करने पर एक साल हो गया है। जैसे-जैसे दिन गुज़र रहे है वैसे-वैसे अरब चौकड़ी और क़तर के संबंध और भी ज्यादा बिगड़ रहे है।

सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने बहिष्कार का नेतृत्व किया, जिससे क़तर पर आर्थिक और व्यापार प्रतिबंध लगाया गया, जिसने कतर को अपने पड़ोसियों से हवा, जमीन और समुद्र से अलग कर दिया, कतरी से जुड़े यातायात और व्यापार को सीमित कर दिया है।

1990 के दशक के मध्य से, कतर ने सऊदी अरब के सहयोगियों और प्रतिद्वंद्वियों की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ क्षेत्रीय और वैश्विक संबंधों को संतुलित करने वाले बहुआयामी नीति का एक स्वतंत्र मार्ग अपनाया है।

एक ओर, कतर में अमेरिका और यूरोपीय शक्तियों के साथ मिलनसार संबंध हैं, जो रणनीतिक अमेरिकी आधार की मेजबानी करते हैं और इस क्षेत्र में आईएस के खिलाफ लड़ाई में एक अभिन्न भूमिका निभाते हैं।

दूसरी ओर, प्राकृतिक गैस पर कतर की निर्भरता ने ईरान की ओर एक नाजुक आर्थिक और राजनीतिक दृष्टिकोण निर्धारित किया है, जिसके साथ यह दुनिया का सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस क्षेत्र साझा करता है।

इन सभी अरब देशों से सम्बन्ध खत्म होने के बावजूद क़तर ने चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, एशियान, भारत, रूस और तुर्की में अरबों का निवेश किया है। इन सभी देशों के साथ क़तर के सम्बन्ध अच्छे है।