अरब लीग में सीरिया की सदस्यता बहाल करने के लिए बातचीत का दौर शुरु!

अरब संसद का नाम कम ही लोगों ने सुना होगा अतः उसकी भूमिका और उसके दायित्व के बारे में भी शायद कम ही लोग जानते होंगे। कारण यह है कि यह संसद इन देशों की सांसदों का सदन है जिनमें अधिकतर के यहां कोई चुनाव ही नहीं होते बल्कि वहां के प्रतिनिधि डिक्टेटरशिप का प्रतिनिधित्व करते हैं।

इस तरह देखा जाए तो यह संस्था आराम से बैठ कर बातचीत करने का एक पटल है और सदस्यों को अच्छी तनख़्वाहें भी मिलती हैं और सदस्य वही लोग बनते हैं जो अपनी सरकारों के क़रीबी होते हैं। इसकी हालत भी अरब लीग वाली हालत है।

अरब संसद के बारे में लिखने का विचार इसलिए आया कि इस संस्था ने शुक्रवार को एक बयान जारी किया है जिसमें अरब लीग तथा उसके महासचिव से मांग की गई है कि सीरिया की सदस्यता का तत्काल बहाल किया जाए और अरब जगत संयुक्त एजेंडे पर काम शुरू करे।

सीरिया की सदस्यता सात साल पहले स्थगित कर दी गई थी और इस तरह अरब लीग अपने इस सामान्य से दायित्व से भी दूर हो गया था जो वह कभी कभी अदा कर देता था और उन मुट्ठी भर देशों के हाथ की कठपुतली बन गया था जो सीरिया के ख़िलाफ़ पश्चिमी देशों की साज़िश का हिस्सा थे।

सात साल की नींद के बाद अचानक इस संस्था को जो होश आया है तो यह कोई संयोग नहीं है और न ही इसका कारण यह है कि अरब संसद और उसके स्पीकर की अंतरात्मा जाग गई है।

इस संस्था को पता चल चुका है कि दमिश्क़ सरकार को गिराने और सीरिया को टुकड़े टुकड़े करने की उसकी साज़िश विफल हो चुकी है और अब जो नया सीरिया सामने है वह पहले से अधिक शक्तिशाली हो चुका है तथा पूरे गौरव के साथ उभर रहा है जबकि अरब संसद की छवि पूरे अरब जगत में ध्वस्त हो चुकी है।

साभार- ‘parstoday.com’