अरुणाचल प्रदेश की सियासी हलचल में सनसनी खेज मोड़ सामने आया है. वजीर ए आला रह चुके तुकी पर बहुत बड़ा इल्जाम लगा है.
अरुणाचल प्रदेश में संवैधानिक व्यवस्था ध्वस्त होने की बात को सही ठहराने के लिए राज्यपाल जे पी राजखोआ ने केंद्र सरकार के सामने 12 दलीलें पेश की हैं। इस रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश 24 जनवरी को की थी। रिपोर्ट में सीएम नबाम तुकी को निशाने पर रखा गया है और राज्य में कानून-व्यवस्था की कथित विफलता के लिए कांग्रेस के मुख्यमंत्री को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि मुख्यमंत्री ने राज्यपाल के कामकाज में भी बाधा डाली।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तुकी का प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन एनएससीएन (के) के साथ कथित तौर पर संबंध है। तिराप, चांगलैंड और लोंगडिंग के तीन विधायकों के प्रेस में आए बयानों का जिक्र करते हुए राज्यपाल ने कहा है कि इन विधायकों पर ‘तुकी को सीएम के रूप में सपोर्ट करने के लिए दबाव डाला जा रहा है।’
माना जा रहा है कि रिपोर्ट में 31 दिसंबर 2015 को विधायक होनचुन के एक रिश्तेदार के अपहरण का भी जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि एनएससीएन (के) के लोगों ने ‘तुकी और उनके मंत्री टी एबोह की शह’ पर यह अपहरण किया। बताया जा रहा है कि रिपोर्ट में पुलिस के राज्य प्रशासन के तहत आने के कारण उचित जांच न होने की बात भी कही गई है।
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