साबिक़ सदर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन आसमा जहांगीर का कहना है कि डाक्टर अर्सलान इफ़्तिख़ार केस साज़िश है जो उन लोगों ने तैय्यार की जिन्हों ने तहरीक-ए-इंसाफ़ बनवाई। लाहौर हाइकोर्ट में मीडीया से गुफ़्तगु में आसमा ने कहा कि अर्सलान केस एक साज़िश है जिस से उन का कोई ताल्लुक़ नहीं, वो मलिक रियाज़ से कभी मिलें तक नहीं।
उन्हों ने वाज़िह किया कि दरअसल ये साज़िश जजों को डराने और जमहूरी (लोकतांत्रिक)निज़ाम (सिस्टम) लपेटने के लिए थी। आसमा ने कहा कि राजा परवेज़ अशर्फ़ को वज़ीर-ए-आज़म (प्रधान मंत्री ) बना कर हुकूमत ने क़ौम को बुरा पैग़ाम दिया , राजा अशर्फ़ पर रेंटल पावर करप्शन केस में मुलव्विस होने का इल्ज़ाम है।
उन्हों ने कहा कि एक ख़त और अमरीकी माफ़ी के लिए ख़ुद को सूली पर लटकाया जा रहा है , ये अमल जमहूरीयत (लोकतंत्र) के लिए नुक़्सानदेह हो सकता है। आसमा ने कहा कि सुइस हुकूमत को ख़त लिखना है तो अदालत रजिस्ट्रार या अटार्नी जनरल से भी ख़त लिखवा सकती है। उन्हों ने कहा कि एक इदारा तबाह हो तो बाक़ी भी तबाह हो जाते हैं।