अलगाववादी नेताओं ने “लाल चौक चलो” धरने को रद्द करने का किया ऐलान

अलगाववादी नेताओं ने 14 नवंबर को होने वाले “लाल चौक चलो” धरने को सिक्ख समुदाय के अपील के बाद रद्द करने का ऐलान किया है। सैयद अली जीलानी, मिरवाइज़ उमर फारूक और यासिन मालिक के साझा नेतृत्व में कहा गया कि 14 नवंबर सोमवार के “लाल चौक चलो” धरने को सिक्ख समुदाय के अपील के बाद रद्द कर दिया गया है।

इस मौके पर नेताओ ने कहा हम घर्म के सुनहरे जातीय स्वभाव और शांति में यक़ीन रखते हैं। नेताओ ने साझा बयान में यह भी कहा कि 14 नवंबर सोमवार के “लाल चौक चलो” धरने को सिक्ख समुदाय के अपील के बाद रद्द कर दिया गया है लेकिन उस दिन के बाकि सारे कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

वहीँ नेताओं ने सिक्ख समुदाय को मुबारकबाद देते हुए कहा कि सिक्ख, पंडित, बुद्ध, क्रिश्चन और बाकि दूसरे समुदाय हमारे समाज के अभिन्न अंग हैं। हम उनकी इज़्ज़त करते हैं और उनके मनोभाव का कद्र करते हैं। सभी नेताओं ने कहा कि हम सभी ढोंग और दोहरा चरित्र में विश्वास नहीं करते हैं।

नताओं ने जमा मस्जिद को बंद करने और जुमा की नमाज़ पर पावंदी लगाने पर आलोचना की और कहा कि भारत में हमारे राजनीतिक, सांसस्कृति और व्यक्तिगत आज़ादी को ही नहीं कुचला जा रहा है बल्कि हमारी धार्मिक स्वतन्त्रता को भी हम से छीना जा रहा है। साथ ही यह भी कहा कि भारतीये राजनेता हर अलोकतांत्रिक काम कर रहे हैं और हर तरह का मानव अधिकारों का हनन भी कर रहे हैं बावजूद इसके 70 साल से लोकतांत्र का ढिंढोरा पीट रहे हैं। साथ ही उन्होंने यह कहा कि जब बटवारे के कारण उपमहाद्वीप का कोना कोना जल रहा था और मानव लहू बह रहा था तब भी हमने आपने तहज़ीब को बचाये रखा एवं धार्मिक और सांसस्कृति सद्भाव बनाये रखा और सिर्फ हमारी ही जगह ऐसी थी जो बटवारे के वक़्त शांत थी। साथ ही हमने राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी की बात मानी और उसे आगे फैलाया।

अंत में नेताओ ने जनता से कार्यक्रम को कामयाब बनाने की अपील भी की।