रियासत के हज आज़मीन का पहला जत्था इतवार को बिरसा मुंडा एयरपोर्ट के पुराने टर्मिनल इमारत से रात में जेद्दा के लिए उड़ान भरा। वज़ीरे आला हेमंत सोरेन, एमपी सुबोधकांत सहाय, सदर शरीक वज़ीर हाजी हुसैन अंसारी, एमपी प्रदीप बलमुचु, वज़ीर मन्नान मल्लिक, एसेम्बली रुक्न निजामुद्दीन अंसारी, अक़लियत कमीशन के सदर डॉ शाहिद अख्तर ने उन्हें रवाना किया।
हज टर्मिनल अहाते में मुनक्कीद तकरीब में तमाम मेहमानों को हज कमेटी की तरफ से टोपी और रुमाल देकर नवाज़ा गया। वज़ीरे आला हेमंत सोरेन ने आजमीने हज को मुबारक देते हुए और बेहतर इंतेजाम करने का यकीन दिलाया। उन्होंने आजमीने हज़ से रियासत की खुशहाली के लिए दुआ करने की दरख्वात की। एमपी मिस्टर सहाय ने हज हाउस को और दुरुस्त करने में वह हर मुमकिन तावून करेंगे।
प्रोग्राम का ऑपरेशन मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी ने किया। कारी जान मोहम्मद ने दुआ करायी। इस जत्थे में 234 आजमीने हज़ थे, जो रांची के अलावा बोकारो, धनबाद, गढ़वा ,खूंटी, गोड्डा, हजारीबाग, कोडरमा, पलामू और रामगढ़ के थे। आजमीने हज़ को विदा करने बड़ी तादाद में उनके अहले खाना आये थे। आज़मीने हज़ लब्बैक-लब्बैक अल्लाह हो अकबर के नारों के दरमियान विदा हुए। हज कमेटी के सेक्रेटरी शकील जब्बार ने कहा कि पहले दिन सब कुछ बेहतर तरीके से हो गया।
आज़मीने हज़ एयरपोर्ट पर शाम छह बजे से ही पहुंचने लगे थे। हज हाउस से बस की भी इंतिज़ाम की गयी थी। 16 सितंबर को सात अज़ला के आज़मीने हज़ पर जायेंगे। इसमें रांची के 157, बोकारो के 13,हजारीबाग के 38, खूंटी के दो, लातेहार के तीन ,लोहरदगा के 16 और सरायकेला के पांच हैं. इनका जहाज़ शाम 7.10 में उड़ान भरेगा। इन्हें तीन घंटे पहले हज टरमिनल में रिपोर्ट करना है।
तबीयत खराब
इरबा के सेराज अंसारी की हज टर्मिनल के अंदर तबीयत खराब हो गयी। उन्हें डॉक्टरों ने जाने की इजाजत नहीं दी। बाद में उनके बेटे सरफराज अंसारी ने तहरीरी दिया कि हम अपनी रिस्क पर उन्हें ले जायेंगे। इसके बाद उन्हें जाने की इजाजत दी गयी।