अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मौलाना आज़ाद लाइब्रेरी को भारत की सबसे बड़ी लाइब्रेरी में पहले स्थान पर रखा गया है, वही एशिया में इसको दूसरे स्थान पर रखा गया है। इस लाइब्रेरी में 14 लाख से ज़्यादा किताबे और कागज़ात है। इसके अंतर्गत अलीगढ़ यूनिवर्सिटी की केंद्रीय लाइब्रेरी और 100 से ज़्यादा विभागीय एवं कॉलेज लाइब्रेरी हैं।
इस लाइब्रेरी की नींव 1875 में रखी गयी थी, जब सर सैय्यद एहमद खान ने स्कूल की शुरुआत की थी जो 1877 में एंग्लो ओरिएण्टल कॉलेज के नाम से जाना गया और फिर 1920 में अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के तौर पर स्थापित हुआ। यह लाइब्रेरी ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट, प्रॉफेशनल कोर्स के छात्र और रिसर्च छात्रों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखती है। इसमें इतिहास के महत्वपूर्ण संग्रह भी शामिल किये गए हैं।
लाइब्रेरी की नींव रॉबर्ट बुल्वेर लिट्टन के द्वारा रखी गयी थी। जो उस वक़्त भारत के वाइसराय थे। इसलिए लाइब्रेरी का नाम असल में लिट्टन लाइब्रेरी रखा गया था
सात मंज़िलो की यह लाइब्रेरी 4.75 एकड़ जमीन में खूबसूरत लॉन और बगीचों के साथ बनी हुई है। 1965 में इसका उद्घाटन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा किया गया था और तभी इसका नाम मौलाना आज़ाद लाइब्रेरी भारत के पहले शिक्षा मंत्री को ध्यान में रखते हुए रखा गया था।
मौलाना आज़ाद लाइब्रेरी में 2 लाख छपी हुई किताबें एवं नियतकालिक पत्रिकाएं मिल जाएंगी जिसमे से 10,000 किताबें पारसी, उर्दू, अरबी और हिंदी की हैं। यह लाइब्रेरी पुरे यूनिवर्सिटी परिसर में ऑनलाइन पत्रिका भी उपलब्ध कराती है और साथ ही विभिन्न विषयों पर यहां डिजिटल के अंतर्गत डिजिटल रिसोर्स सेंटर द्वारा सामग्री उपलब्ध है जिसका स्थापन लाइब्रेरी में जनवरी 2009 को किया गया था।तक़रीबन 5000 छात्र, शिक्षक और यूनिवर्सिटी के दूसरे सदस्य लाइब्रेरी में प्रतिदिन आते हैं।