अलीगढ़ यूनीवर्सिटी के अक़िल्लियती मौक़िफ़ का मसला

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी की अक़िल्लियती हैसियत से मुताल्लिक़ मर्कज़ के मौक़िफ़ पर एहतेजाज के पेश-ए-नज़र वाइस चांसलर लेफ्टेनेंट जनरल (रिटायर्ड ज़मीरूद्दीन शाह ने आज मुस्लिम बिरादरी से अपील की है कि इस मसले पर हद से ज़्यादा जोश का मुज़ाहरा ना करें और अदलिया पर मुकम्मल एतिमाद करें।

इन्होंने एक सहाफ़ती बयान में कहा कि मुल्क‌ के आला तालीमी इदारे के अक़िल्लियती किरदार की बहाली पर तमाम सही अलफ़कर शहरीयों की तशवीश हक़बजानिब है और हमें अक़िल्लियतों के हुक़ूक़ की हिफ़ाज़त के लिए अदलिया के निज़ाम पर कामिल एतिमाद रखना चाहिए।

वाइस चांसलर की ये अपील एसे वक़्त आई है जब यूनीवर्सिटी कैम्पस और क़दीम शहर में कल अक़िल्लियतों के मुख़्तलिफ़ ग्रुप्स ने एहतेजाज किया था। इन्होंने बताया कि एएमयू के अक़िल्लियती किरदार की बहाली का मसला फ़िलहाल सुप्रीमकोर्ट में मारज़ अलतवा है। लेकिन मर्कज़ी हुकूमत ने हाल ही में ये फ़ैसला किया है कि इस मसले पर अदालत ने यूनीवर्सिटी की हिमायत में यूपीए हुकूमत के मौक़िफ़ को उलट दिया जाये जिस पर अक़िल्लियतों में इज़तिराब पैदा हो गया है।

याद‌ रहे कि सुप्रीमकोर्ट में केस की समात के दौरान अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि एनडीए हुकूमत इस नुक़्ता-ए-नज़र (आईडीया की ताईद नहीं करती कि हुकूमत के ज़ेर तआवुन अक़िल्लियती इदारे को सेकूलर हैसियत नहीं दी जा सकती। एएमयू वाइस चांसलर ने बताया कि अगर अवाम उस मसले पर ग़ैर दस्तूरी तरीक़े से एहतेजाज करेंगे तो जवाबी रद्द-ए-अमल ज़ाहिर हो सकता है।

इन्होंने बताया कि वो अनक़रीब वज़ीर-ए-आज़म से मुलाक़ात करके सूरत-ए-हाल से वाक़िफ़ करवाईंगे और तवक़्क़ो है कि इस ख़ुसूस में मुसबत रद्द-ए-अमल हासिल होगा|