नई दिल्ली, 22 जनवरी: वज़ारत ए दाखिला अलैहदा तेलंगाना रियासत बनाने के हक में नहीं है। वज़ारत ने इस हफ्ते होने वाली सयासी मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीपीए) के इजलास के लिए तैयार ड्राफ्ट में अपना फैसला दर्ज कर दिया है। आम तौर पर जुमेरात को होने वाली कैबिनेट के इज़लास ( बैठक) में इसी ड्राफ्ट की बुनीयाद पर वज़ीर ए आज़म मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली सीसीपीए तेलंगाना के मुस्त्कबिल पर फैसला लेगी।
इस मसौदे से साफ होता जा रहा है कि कई दहों से चला आ रहा अलैहदा तेलंगाना रियासत बनाने का मामला अब ठंडे बस्ते में बंद होने के कगार पर है। हुकूमत और कांग्रेस इस फैसले के बाद उठने वाले सयासी बवंडर की काट भी तैयार कर रही है। ड्राफ्ट में लिखा गया है कि अलैहदा रियासत बनाने से आंध्र प्रदेश के मख़सूस सफक्कत और अकलीयती (Minority/अल्पसंख्यक) लोगों पर ज़्यादा असर पड़ेगा। ड्राफ्ट के जरिए वज़ारत ( Ministry) ने यह भी साफ कर दिया है कि इस तरह के छोटे रियासत की तशकील सयासी और इक्तेसादी ( माली) लिहाज से मुनासिब नहीं है।
वज़ारत ने आगाह किया है कि तेलंगाना की तशकील के बाद बदले सयासी, सामाजी, इक्तेसादी और जेग्राफायी ( Geographic/ भौगोलिक) हालात में नक्सलवाद नए सिरे से पनपेगा। वज़ारत ने ड्राफ्ट में यह भी लिखा है कि इस मुद्दे पर सयासी पार्टी की राय में यूनिफार्मिटी ( Uniformity) और साफगोई नहीं है। पिछले कुछ महीनों से यूपीए सदर सोनिया गांधी खुद तेलंगाना रियासत बनाने पर सभी पार्टी के बातचीत कर रही थीं। साथ ही अलैहदा तेलंगाना की तशकील के लिए बनी जस्टिस श्रीकृष्णा कमेटी रिपोर्ट पर वज़ारत दाखिला अलग से सभी सयासी पार्टीयों से राय मशविरा कर रहा था।
पीर के दिन इसी मुद्दे पर वज़ीर ए दाखिला सुशील कुमार शिंदे ने यूनिफाइड आंध्र संगठन के करीब 20 MPs और Legislators से मुलाकात की। इनके साथ आंध्र प्रदेश के नॉन गजटेड कर्मचारी यूनियन के करीब 50 Representative भी थे। वज़ारत के ज़राए (ऊंचे ओहदे के) ने मीडिया को बताया कि इन्होंने रियासत के 10 लाख मुलाज़्मीनो के मुखालिफत से मरकज़ को आगाह किया है।