मुंबई । महाराष्ट्रा के अल्पसंख्यक वीकास मंत्री आरीफ नसिम ख़ान ने आज मुस्लिम वर्ग के क़ैदीयों को क़ानूनी मदद देने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए कहा कि इस से उन्हें असल धारे की ज़िंदगी में वापसी में मदद मिलेगी।
उन्हों ने दावा किया कि माइनारीटीज तबक़ा के बेशतर मुल्ज़िम पहली बार मुजरीम ठहराए गए हैं और मामूली इल्ज़ामात के तहत गिरफ़्तार किए गए हैं। राज्य मंत्री ने कहा कि क़ानूनी मदद के ना होने की वजह से वो जेल में सड़ रहे हैं।
वसीम ख़ान महाराष्ट्रा ए टी एस के प्रमुख, आई जी महाबस सुरेंद्र कुमार के साथ मुलाक़ात करने के बाद प्रैस कान्फ़्रैंस से बातचित कर रहे थे। उन्हों ने कहाकि टाटा इंस्टीटियूट बराए समाजी उलूम के एक ताज़ा सर्वे से पता चला कि अक़ल्लीयती तबक़ा के 70 ता 80 क़ैदी पहली बार मुल्ज़िम क़रार दिए गए हैं।
राज्य की 20 जेलों में 20 हज़ार क़ैदी हैं, जिन में से 7 हज़ार माइनारीटीज तबक़ा के हैं। उन्हों ने कहा कि क़ैदीयों की दुबारा जिंदगी सुधारने का हुक्म, उन की फुनून की तर्बीयत और मशवरें के हुक्म के साथ दिया जाना चाहीए।
इस सवाल पर कि क्या राज्य सरकार माइनारीटीज तबक़ा के क़ैदीयों को क़ानूनी मदद देने पर ग़ौर कर रही है ताकि वो अपने मुक़द्दमात लड़ सकें। उन्हों ने कहा कि अगर मुफ़्त क़ानूनी मदद दी जाये तो वुकला पर एतिमाद ना रहने की वजह से मुल्ज़िम उन्हें रद कर देंगे।
उन्हों ने कहा कि वुकला को हुकूमत की तरफ से बहुत कम रक़म दी जाती है इस लिए मुल्ज़िमीन उन पर भरोसा नहीं करते।