अल्लामा मुहम्मद इक़बाल का 136 वां यौम-ए-पैदाइश रिवायती अक़ीदत-ओ-एहतिराम से मनाया जा रहा है। इक़बाल के पैग़ाम और फ़िक्र का मर्कज़ी नुक़्ता इन का तसव्वुर ख़ुदी है।
ये वही तसव्वुर ख़ुदी है कि जिस ने इक़बाल की शख़्सियत को बक़ा-ओ-दवाम अता किया और इसी में ख़ुद पाकिस्तान की बक़ा और मिल्लत-ए-इस्लामीया का उरूज मुज़म्मिर है।
तसव्वुर-ए- ख़ुदी को अल्लामा इक़बाल के फ़लसफ़ा हयात में मर्कज़ी हैसियत हासिल है और अगर उसे समझ लिया जाये तो इक़बाल की शायरी को समझना भी आसान होजाता है, मगर उस की गहिराईयों को जांचना आसान नहीं।