अल्लाह का अज़ाब कहीं भी आसकता है!

२६ दिसंबर २००४ को समुंद्र से मुल्हिक़ा इलाक़ों में जो होल्नाक तूफ़ान आया था, इस ने तीन हज़ार कीलो मीटर (इंडोनेशीया से श्रीलंका तक) के इलाक़ों को अपनी लपेट में ले लिया था। कई लाख अफ़राद समुंद्र ने निगल लिए, दसियों लाख अफ़राद बेघर हो गए और कितनी ही आबादीयां सफ़ा हस्ती से मिट गईं, हत्ता कि इस लर्ज़ा ख़ेज़ तबाही का सही अंदाज़ा दुनिया नहीं लगा सकी।

ये तूफ़ान महज़ एक इत्तेफ़ाक़ी वाक़िया नहीं, बल्कि अल्लाह ताला का खुला अज़ाब था, जिस में वो लोग ज़्यादा मुब्तला हुए, जो समुंद्र के साहिली इलाक़ों पर बने हुए अय्याशी के अड्डों पर तफ़रीह और पिकनिक मनाने गए हुए थे। अल्लाह ताला ने अपनी ज़बरदस्त ताक़त दिखाकर सारी दुनिया को झंझोड़ा है कि दुनिया वाले अल्लाह की नाफ़रमानी, बग़ावत, सरकशी और बदकारी से बाज़ आजाए, वर्ना अल्लाह ताला एसे सब लोगों को हर जगह और हर तरह अज़ाब देने और मलियामेट करने पर पूरी तरह क़ादिर है।

कुरान पाक में अल्लाह ताला ने एलान फ़रमाया है: ख़ुशकी और तरी में लोगों के बुरे आमाल के सबब तबाही फैल रही है, ताकि अल्लाह ताला उन के बाज़ आमाल का मज़ा उन को चखा दे, ताकि वो बाज़ आजाए। (सूरा रुम)

हमारे आक़ा मुहसिन ए इंसानियत (स.व.) ने आज से सदीयों पहले उम्मत को आगाह करते हुए फ़रमाया कि जब मेरी उम्मत में पंद्रह तरह की बुराईयां फैल जाएंगी (जिन में शराबनोशी, फ़ह्हाशी, उर्यानीय‌त, बदकारी वग़ैरा शामिल हैं) तो फिर सुर्ख़ आंधीयों, ज़लज़लों, धमाकों और चेहरे मसख़ होने जैसे अज़ाबों का इंतिज़ार करना (तिरमिज़ी शरीफ़२।४५) इसी तरह हुज़ूर (स.व.) का एक इरशाद और है कि जब भी किसी क़ौम में जीनाकारी आम होगी तो इस पर मौत मुसल्लत करदी जाएगी (मजमउज्जवाइद‌ ।२६९) यानी बदकारी की नहूसत की वजह से एसी आफ़तें आयेंगी कि आनन फ़ानन लाखों लोग लुकमा-ए-अजल बन जाएंगे।

इन हिदायात की रोशनी में आज हमें अपने किरदार और मुआशरा का जायज़ा लेने की ज़रूरत है। हमें अपने मुआशरा(नागरिक्ता) में जन्म लेने वाली बुराईयों से ग़ाफ़िल नहीं रहना चाहीए, बल्कि उन बुराईयों को मिटाने के लिए मेहनत करनी चाहीए। इस दौर का सब से बड़ा फ़ित्ना बेहयाई और फ़ह्हाशी है और यही अज़ाब ख़ुदावंदी का सब से बड़ा सबब है। अगर हमें अज़ाब से बचना है तो बेहयाई, फ़ह्हाशी और अर यानीत के गंदे जरासीम से ख़ुद को बचाना होगा, इस लिए ज़रूरत है कि इन तूफ़ानों से इबरत हासिल करें और मुआशरा की इस्लाह के लिए मुनज़्ज़म मेहनत करें।

हर शख़्स को चाहीए कि सच्चे दिल से गुनाहों से तौबा करे, अल्लाह के अज़ाब से पनाह मांगे और अपने घर में दीनदारी पैदा करने की फ़िक्र करे। इस के बगै़र हम अज़ाब के ख़तरे से हरगिज़ महफ़ूज़ नहीं रह सकते।

अल्लाह ताला हम गुनहगारों पर रहम फ़रमाए और हमें अज़ाब के अस्बाब से बचने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए। (आमीन)