अल्लाह तआला की बारगाह में अगर सौ साल का काफ़िर भी तौबा कर ले तो अल्लाह तआला उसकी तौबा क़बूल फ़रमा लेता है। इरशाद बारी तआला है कि काफ़िरों से कह दो अगर वो बाज़ आ जाऐं तो जो पहले हो चुका माफ़ कर दिया जाएगा (सूरतुल अनफ़ाल।३८) पस अगर कुफ्र की भी तौबा है तो उन गुनाहों का क्या कहना जो कुफ्र से कम दर्जा के हैं।
पस अगर कोई बदकार तौबा कर ले तो यक़ीनन बख़्श दिया जाएगा।
हज़रत अबूहुरैरा रज़ी० फ़रमाते हैं कि एक रात मैं हुज़ूर नबी करीम स०अ०व० के साथ इशा की नमाज़ पढ़ कर निकला। क्या देखता हूँ कि एक औरत नक़ाब ओढ़े रास्ते में खड़ी है। वो कहने लगी कि मुझसे बड़ा गुनाह हो गया है, क्या मेरी तौबा क़बूल हो सकती है?।
मैंने पूछा तेरा गुनाह क्या है?। इस ने कहा कि मुझ से ज़िना का इर्तिकाब हुआ है और इससे पैदा होने वाले बच्चे को क़त्ल भी कर दिया है। मैंने कहा तू ख़ुद भी हलाक हो गई और एक नोमोलूद बच्चे को भी हलाक कर दिया। ख़ुदा की कसम! तेरी तो तौबा भी क़बूल नहीं।
ये सुन कर वो औरत चीख़ मारती है और बेहोश होकर गिर पड़ती है। में आगे बढ़ गया और अपने दिल में ये सोचने लगा कि जब हुज़ूर अकरम स०अ०व० मौजूद हैं तो मुझे फ़तवा देने की क्या ज़रूरत है।
सुबह हुई तो में हुज़ूर स०अ०व० की ख़िदमत में हाज़िर हुआ और अर्ज़ किया या रसूलुल्लाह ! गुज़श्ता रात एक औरत ने मुझ से मसला पूछा और मैंने उसको यूं जवाब दिया। ये सुन कर हुज़ूर अकरम स०अ०व० ने इन्ना लिल्लाही व इन्ना इलैही राज़ेऊन पढ़ा और फ़रमाया ऐ अबूहुरैरा! तुम ख़ुद भी हलाक हुए और उस (औरत) को भी हलाक किया।
क्या तुम्हें ये आयत मालूम नहीं थी कि नहीं क़त्ल करते वो किसी ऐसी जान को कि अल्लाह ने हराम किया है उसे मगर हक़ के साथ और ना बदकारी करते हैं और जो इस तरह करे वो बड़े गुनाह में पड़ गया, इसके लिए दोहरा अज़ाब है और क़यामत के दिन हमेशा के लिए इस में ख़ार होते रहेंगे।
जिस ने तौबा की, ईमान लाया और नेक अमल किए अल्लाह तआला उन की बुराईयों को नेकियों में बदल देगा और अल्लाह माफ़ करने वाला और रहम करने वाला है। (सूरह अल फुरक़ान ६८)
हज़रत अबूहुरैरा रज़ी० फ़रमाते हैं कि मैं उस वक़्त हुज़ूर स०अ०व० के यहाँ से चला गया और मेरा ये हाल था कि मदीना की गलीयों में ढूंढता फिरता था कि कोई मुझे उस औरत का पता बताए, जिसने कल रात मुझ से मसला पूछा था। मुझे देख कर बच्चे शोर मचाने लगे कि अबूहुरैरा दीवाना हो गए।
फिर इसी तरह रात हो गई। क़ुदरती बात है कि इशा की नमाज़ के बाद कल की जगह पर वही औरत मुझे खड़ी हुई मिल गई। मैंने उसे हुज़ूर अकरम स०अ०व०का फ़रमान सुनाया कि तेरी तौबा क़ाबिल-ए-क़बूल है। ये सुन कर वो औरत ख़ुशी के मारे रोने लगी और कहने लगी कि फ़लां बाग़ मेरा है, में उसे गुनाह के कफ़्फ़ारा में मसाकीन के लिए सदक़ा करती हूँ।
फ़कीह अबूलैस समरकंदी रह० अपने वालिद से रिवायत करते हैं कि बनी इसराईल में एक फ़ाहिशा औरत थी, लोग इस के हुस्न-ओ-जमाल पर फ़रेफ़्ता थे। इसका दरवाज़ा हर वक्त खुला रहता। हाल ये था कि जो शख़्स भी उसे एक नज़र देख लेता, वो इससे मुलाक़ात के लिए बेताब हो जाता। वो औरत दस दीनार वसूल करती, फिर किसी को अपने पास आने देती।
एक दिन एक नौजवान आबिद का उधर से गुज़र हुआ, इस ने इस हसीन औरत को तख़्त पर बैठा हुआ देखा तो फ़रेफ़्ता हो गया। दिल क़ाबू में ना रहा, हज़ार जतिन किए कि उस औरत का ख़्याल दिल से निकल जाये, मगर कामयाबी ना हुई। दिन रात, सुबह-ओ-शाम उसी औरत का ख़्याल इस के दिल पे छाया रहता, मजबूर होकर इस ने अपना माल-ओ-अस्बाब बेचा और दस दीनार इकट्ठा किए, फिर औरत के वकील के ज़रीया उस तक पहुंच गया।
औरत जे़ब-ओ-ज़ीनत किए पलंग पर बैठी हुई थी, ये नौजवान आबिद भी इस के साथ पलंग पर बैठ गया और बोस-ओ-कनार किया। मगर अल्लाह तआला ने उसकी हिफ़ाज़त फ़रमाई, उसकी साबिक़ा इबादतों की बरकतों का ज़हूर हुआ और इसके दिल में ख़्याल आया कि मेरा परवरदिगार मुझे इस हालत में देख रहा है, ऐसा ना हो कि इस हराम फे़अल की वजह से मेरी सारी इबादतें ज़ाए हो जाएं।
अल्लाह तआला का ख़ौफ़ इस के दिल पर ऐसा तारी हुआ कि इस ने काँपना शुरू कर दिया और इस के चेहरे का रंग फ़क़ हो गया।
औरत ने पूछा तुम्हें क्या हो गया?। आबिद नौजवान ने कहा मुझे अपने परवरदिगार से शर्म आ रही है, मैं वापस जाना चाहता हूँ। औरत कहने लगी कि लोग तो इस मौक़ा के लिए मुद्दतों तड़पते हैं जो तुम्हें हासिल है, लिहाज़ा अपनी मुराद पूरी कर लो।
आबिद नौजवान ने कहा मैंने तुझे जो माल दिया वो तेरे लिए हलाल है, बस मुझे जाने दो। औरत कहने लगी कि शायद ऐसा काम तुम ने पहले कभी नहीं किया?। आबिद ने कहा हाँ, मैंने ऐसा कभी नहीं किया। औरत ने इस नौजवान आबिद का नाम और पता पूछा तो इसने सब कुछ बता दिया।
फिर जब वहां से निकला तो ज़ार-ओ-क़तार रोने लगा कि मैं अल्लाह के दर को छोड़कर एक बदकार के दर पर पहुंच गया।
उधर इस फ़ाहिशा औरत के दिल में भी आबिद की बरकत से ख़ौफ़ ख़ुदा तारी हुआ। अपने जी में कहने लगी कि उस शख़्स का पहला गुनाह था और ये इस क़दर ख़ौफ़ज़दा हुआ, जब कि में बरसों से गुनाह कर रही हूँ, मगर आज तक नहीं डरी।
हालाँकि मेरा भी ख़ुदा वही है और वो मुझे भी सब कुछ करते हुए देख रहा है।
उस औरत ने घर का दरवाज़ा बंद कर लिया, मामूली कपड़े पहन लिए और अल्लाह की इबादत में मशग़ूल हो गई। एक दिन इसके दिल में ख़्याल आया कि क्यों ना मैं उस आबिद के पास चली जाऊं, मुम्किन है वो मेरे साथ निकाह कर ले। मैं इससे दीन सीखूंगी, वो इबादत में मेरा मुआविन बनेगा।
ये सोच कर इस ने अपना सामान बांधा और उस आबिद की बस्ती में पहुंच गई। आबिद नौजवान को बुलाया और जब वो सामने आया तो औरत ने अपना चेहरा खोल दिया, ताकि वो उसे पहचान ले। आबिद ने उस औरत को देखा तो उसकी निगाहों में सारा मंज़र फिर गया, इस ने चीख़ मारी और उसकी रूह परवाज़ कर गई, जिसका औरत को बड़ा सदमा हुआ।
इसने आबिद नौजवान के भाई से निकाह करके नेक और पारसाई की ज़िंदगी गुज़ारनी शुरू कर दी, जिससे इसके सात बच्चे हुए, जो बनीइसराईल के औलियाए कामिल बने।