अल्लाह तआला बेहतरीन राज़िक है

और (बाअज़ लोगों ने)जब देखा किसी तिजारत या तमाशा को तो बिखर गए उसकी तरफ़ और आप ( स०अ०व०) को खड़ा छोड़ दिया। ऐ हबीब ( स०अ०व०) उन्हें फ़रमाईए कि जो नेअमतें अल्लाह के पास हैं, वो कहीं बेहतर हैं लहू और तिजारत से, और अल्लाह तआला बेहतरीन रिज़्क देने वाला है। (सूरत अलजुमा: ११)

इस आयत में एक वाक़िया की तरफ़ इशारा किया गया है, जो हिजरत के फ़ौरन बाद पेश आया था और इसके ज़िक्र से मुसलमानों की तर्बीयत फ़र्मा दी कि आइन्दा उनसे ऐसी हरकत हरगिज़ ना सरज़द हो।

मदीना ए तैबा में सख़्त क़हत पड़ा, अश्या-ए-ख़ुर्दनी नायाब और गिरां हो गईं, लोग इस सिलसिले में बहुत परेशान हो गए। अचानक जुमा के रोज़ जबकि हज़ूर (स०अ०व०)ख़ुतबा इरशाद फ़रमा रहे थे, वहीया कलबी इब्न ए ख़लीफ़ा सामान तिजारत लेकर शाम से मदीना पहुंचे, जो अभी मुसलमान नहीं हुए थे।

उन्होंने अपनी आमद की इत्तिला अहले शहर को देने के लिए ढोल बजाना शुरू कर दिया। जब हाज़िरीन मस्जिद ने आवाज़ सुनी तो इस अंदेशा से कि अगर वो नमाज़ में मशग़ूल रहे तो सामान ख़ुर्द-ओ-नोश दूसरे लोग ख़रीद लेंगे।

इसलिए वो फ़ौरन वहां पहुंचे और हज़ूर(स०अ०व०)की ख़िदमत में सिर्फ़ बारह आदमी रह गए। अल्लाह तआला को मुसलमानों की ये हरकत सख़्त नापसंद हुई और मज़कूरा आयत नाज़िल फ़रमाई, जिसमें उनको इस हरकत की क़बाहत की तरफ़ मुतावज्जा किया गया और उन्हें आइन्दा इससे बाज़ रहने की ताकीद की गई।

इन्हें ये भी बताया गया कि अल्लाह तआला के पास नेअमतों के जो खज़ाने हैं, वो इस लहू-ओ-लब और तिजारत से अफ़ज़ल-ओ-आला हैं। रिज़्क के खज़ाने इसके दस्त-ए-क़ुदरत में हैं, लिहाज़ा तुम्हें अपना रिज़्क इससे तलब करना चाहीए।