अरब तजज़िया निगारों के मुताबीक़ अलक़ायदा फ़िलवक़्त ज़बूँ हाली का शिकार है क्योंकि मुस्लिम ममालिक में नौजवानों की अलक़ायदा के लिए हिमायत में वाज़िह कमी हुई है ।
मुस्लिम नौजवान उसामा बीन लादन की हलाकत (मौत)के बाद अलक़ायदा तंज़ीम में शमूलीयत से गुरेज़ां(रुके) हैं, क्योंके उन्हें अलक़ायदा के नए लीडर एमन अलज़वाहरी की क़ाइदाना सलाहीयतों पर भरपूर(पूरी तरह) एतिमाद( भरोसा ) नहीं है ।
तजज़िया निगारों ने हाल ही में अलक़ायदा की जानिब से इंटरनैट पर नौजवानों को ख़ुदकुश हमला आवर बनाने की पेशकश को भी अलक़ायदा के लिए नौजवानों की अदम दस्तयाबी से मंसूब(अपने तरफ) किया है ।
उन के मुताबीक़ अलक़ायदा की जानिब से ये एक बिलकुल नया तर्ज़ अमल है जो इस बात की वज़ाहत करता है के अलक़ायदा तंज़ीम में मौजूद कारकुनान ख़ुदकुश हमलों के लिए तैय्यार नहीं या फिर अलक़ायदा पहले ही अफ़राद की कमी का शिकार है, इस लिए अपने बच्चे खुचे साथीयों को ख़ुदकुश हमलों में इस्तिमाल करने से गुरेज़ां(नहीं चाता) है।
कहा जा रहा है नहीं चाता के अलक़ायदा के अफ़्रीक़ी ममालिक के नैटवर्क भी ख़ासे कमज़ोर होगए हैं। अरब दुनिया के कई ममालिक में अलक़ायदा के लिए काम करने वाले अफ़राद ख़ुद को अपने ममालिक के हवाले कर रहे हैं।