अवामी हिमायत ना होती तो शाह इरान जैसा अंजाम होचुका होता

इस इस्तिदलाल (दावे) के साथ कि शाम को शरपसंद अरब ममालिक से भेजे जाने वाले इस्लामी जनगजुवों के हमलों का सामना है, सदर बशार अल असद ने कहा कि अगर इन्हें अवाम की हिमायत हासिल ना होती तो अमरीका और पूरा मग़रिब दुश्मन बन जाने के बाद वो कभी के शाह ईरान जैसे अंजाम से दो-चार हो चुके होते।

उन्हों ने इन ख़्यालात का इज़हार तुर्क रोज़नामा जमहूरीयत में कल शाय अपने इंटरव्यू में किया है। उन्हों ने कहा कि शाम को शरपसंद अरब ममालिक से भेजे जाने वाले जनगजुओं के हमलों का सामना है।

मग़रिब की दुश्मनी और तुर्की के मुख़ालिफ़ाना तर्ज़-ए-अमल की वजह से भी ख़तरात का सामना है। इंटरव्यू के इबतिदाई हिस्सों में जहां उन्हों ने तुर्की के साथ जेट तय्यारा मार गिराने पर शुरू होने वाली महाज़ आराई के हवाले से इज़हार-ए-ख़्याल किया,

वहीं तीसरी क़िस्त में अपनी हुकूमत को दरपेश चैलेंजों और उन के ब क़ौल (उनके मोताबिक)आलमी साज़िश पर गुफ़्तगु की है। उन्हों ने कहा, शाम को निशाना बनाने का मक़सद मुल्क को तोड़ना या ख़ानाजंगी(सिविल वार ) शुरू कराना था

लेकिन दहश्तगर्दी के ख़िलाफ़ हमारी जंग फ़ैसलाकुन अंदाज़ में जारी रहेगी और हम इस को शिकस्त देंगे।। उन्हों ने इस दावे को दोटूक अंदाज़ में मुस्तर्द करदिया कि शामी अवाम उन की हुकूमत का ख़ातमा चाहते हैं और कहा, में अपने अवाम का शुक्र गुज़ार हूँ।

मैं इन लोगों को क्यों क़तल करूंगा जो मेरे साथ खड़े हैं।