अवामी ज़िंदगी में दियानतदारी और् एहतिसाब को यक़ीनी बनाने वक़्त दरकार

नई दिल्ली, ०४ फ़रवरी (पी टी आई) वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने रिश्वत सतानी के मसला पर अपनी हुकूमत के ख़िलाफ़ जारी मुसलसल तन्क़ीदों के दरमयान आज एतराफ़ किया कि अवामी ज़िंदगी में शफ़ाफ़ियत, दियानतदारी और एहतिसाब को यक़ीनी बनाने की कोशिशों को कामयाबी के लिए एक तवील वक़्त दरकार होगा।

डाक्टर मनमोहन सिंह ने यहां चीफ़ सेक्रेटरीज़ कान्फ़्रैंस से ख़िताब करते हुए मुल्क को रिश्वत सतानी से नजात दिलाने के लिए हुकूमत की तरफ़ से किए जाने वाले मुख़्तलिफ़ इक़दामात का तज़किरा किया और कहा कि इन कोशिशों में गुज़श्ता एक साल के दौरान काबिल लिहाज़ पेशरफ़त हुई है लेकिन अवामी ज़िंदगी में शफ़ाफ़ियत और एहतिसाब को यक़ीनी बनाने के लिए की जाने वाली हमारी कोशिशों की कामयाबी के लिए तवील वक़्त दरकार होगा।

इन मक़ासिद के हुसूल के लिए मर्कज़ और रियास्तों को मुशतर्का तौर पर काम करना होगा। रिश्वत सतानी के मसला पर हुकूमत पर की जाने वाली मुसलसल तन्क़ीदों के तनाज़ुर में वज़ीर-ए-आज़म के इन रिमार्कस को नुमायां एहमीयत हासिल हो गई है।

यू पी ए हुकूमत को गुज़श्ता रोज़ सख़्त उलझन-ओ-पशेमानी का सामना करना पड़ा था जब सुप्रीम कोर्ट ने 2008 में मुख़तस कर्दा 122 , 2G स्पेक्टरम लाईसैंसों को गै़रक़ानूनी क़रार देते हुए कुलअदम कर दिया है। वज़ीर-ए-आज़म ने याद दिलाया कि गुज़श्ता साल भी उन्होंने ऐसे निज़ाम की ज़रूरत पर ज़ोर दिया था जिससे अवामी ज़िंदगी में रिश्वत सतानी के मौक़ों को घटाया जा सकता है और कहाकि उन की हुकूमत इस लानत (रिश्वत) की सरकूबी के लिए तमाम क़ानूनी और इंतिज़ामी इक़दामात करने की पाबंद है।

उन्होंने मज़ीद कहा कि मैंने ये भी कहा था कि हमारी अवामी ख़िदमात के निज़ाम को मोस्सर बनाने और कारकर्दगी में बेहतरी के लिए असरी टेक्नोलोजी के मुकम्मल इस्तेमाल की ज़रूरत पर ज़ोर दिया था और उन कोशिशों में गुज़श्ता एक साल के दौरान मुख़्तलिफ़ शोबों में हमने काबिल लिहाज़ पेशरफ़त की है।

रिश्वत सतानी से निमटने के लिए किए जाने वाले इक़दामात की तफ़सीलात ब्यान करते हुए वज़ीर-ए-आज़म ने कहा कि क़ानून हक़ मालूमात अदालती एहतिसाब बल, और चौकसी बल के इलावा शहरी ज़ाबता और ख़िदमात की इलैक्ट्रॉनिक निज़ाम के ज़रीया तरसील के मुसव्वदा क़वानीन गुज़श्ता एक साल के दौरान पार्लीमेंट में पेश किए गए हैं।

लोक पाल और लोक आयुक़्त बिल का हवाला देते हुए डाक्टर मनमोहन सिंह ने कहाकि उन्हें अफ़सोस है कि गुज़श्ता पारलीमानी इजलास में इस बिल को मंज़ूर नहीं किया जा सका और उमीद है कि हुकूमत बहुत जल्द एक मज़बूत लोक पाल क़ानून वज़ा करने में कामयाब हो जाएगी।

उन्हों ने मज़ीद कहा की हम ग़ैर यक़ीनी हालात से गुज़र रहे हैं और मुल्क मुख़्तलिफ़ शोबों में हमा इक़साम के
चैलेंजों का सामना कर रहा है। वज़ीर-ए-आज़म ने याद दिलाया कि उन्हों ने इन चैलेंजों को पाँच ज़मरों में तक़सीम किया था।

एक सिक्योरिटी की बक़ा से है। दूसरा इक़तिसादी सलामती के हुसूल से ताल्लुक़ रखता है। तीसरे का ताल्लुक़ तवानाई की सलामती से है।

चौथा माहौलियाती सलामती से जबकि पांचवां और आख़िरी चैलेंज क़ौमी सलामती से ताल्लुक़ रखता है। उन्होंने कहा कि ये इंतिहाई ज़रूरी है कि हम सब उन चैलेंजों पर वाज़िह ताल मेल और मुफ़ाहमत करें और चैलेंजों से मोस्सर अंदाज़ में निमटने के लिए मर्कज़ और रियास्तों को मुशतर्का तौर पर काम करना होगा।

डाक्टर मनमोहन सिंह ने कहा कि दुशवारीयों को अगरचे समझना चाहीए लेकिन इस के साथ उन से निमटने के लिए मोस्सर हिक्मत-ए-अमली भी तैयार की जानी चाहीए। नीज़ हमारा ये यक़ीन होना चाहीए कि ये दुश्वारियां हमारे अज़म को मुतज़लज़ल नहीं करेंगी।

वज़ीर-ए-आज़म ने याद दिलाया कि माज़ी में भी हम ग़ैर यक़ीनी हालात का सामना कर चुके हैं। हम ने बोहरानों का सामना किया। हम ने कई दुशवारीयों का सामना किया लेकिन हर ऐसी सूरत-ए-हाल के बाद हमारा मुल़्क मज़ीद ताक़तवर बनकर उभरा है।

चुनांचे अब मुझे इस बात पर कोई शक-ओ-शुबा नहीं है कि चैलेंज ख़ाह कुछ भी हो हमारे पास कामयाबी हासिल करने केलिए पुख़्ता अज़म और इरादा भी मौजूद है। बशर्तिके यक़ीनन हम पुख़्ता अज़म‍ और् इस्तेक़लाल के साथ मुत्तहदा तौर पर इस मक़सद के लिए काम करें।