अवामी ज़िंदगी में शफ़ाफ़ियत

वज़ीर आज़म डाक्टर मनमोहन सिंह ने आज एतराफ़ किया कि अवामी ज़िंदगी में शफ़ाफ़ियत और दियानतदारी लाने के लिए एक तवील जद्द-ओ-जहद दरकार होगी और अवामी नुमाइंदों में जवाबदेही का एहसास पैदा करना भी एक सब्र आज़मा काम है । डाक्टर मनमोहन सिंह ने चीफ सेक्रेटरीज़ की कान्फ़्रैंस से ख़िताब करते हुए इस ख़्याल का इज़हार किया और कहा कि हुकूमत की जानिब से मुल्क को क़्रप्शन की लानत से नजात दिलाने के लिए कई इक़दामात किए जा रहे हैं।

डाक्टर सिंह का इद्दिआ था कि इस जद्द-ओ-जहद में काफ़ी पेशरफ़्त हुई है इस के बावजूद हनूज़ एक तवील सफ़र दरकार है ताकि अवामी ज़िंदगी में शफ़ाफ़ियत लाई जा सके और अवामी नुमाइंदों में जवाबदेही का एहसास पैदा किया जा सके । डाक्टर मनमोहन सिंह ने ये भी कहा कि इस मक़सद की कामयाबी केलिए ज़रूरी है कि मर्कज़ और रियासतों के दरमियान इश्तिराक हो और दोनों मिल कर काम करें। डाक्टर सिंह ने क़्रप्शन और रिश्वत के मसला पर उसे वक़्त में ज़बान खोली है जबकि एक दिन क़बल ही सुप्रीम कोर्ट ने 2G स्पेक्ट्रम अलाटमैंट स्क़ाम पर जो फैसला दिया है उसे अपोज़ीशन जमाअतें हुकूमत की सरज़निश क़रार दे रही हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कल इस स्क़ाम में फ़ैसला देते हुए 122 लाईसेंस मंसूख़ कर दिए जो मुख़्तलिफ़ टेलीकॉम कंपनियों को अलॉट किए गए थे । सुप्रीम कोर्ट ने रेमार्क किया कि ये लाईसैंस जिस पॉलीसी के तहत जारी किए गए थे वो बिलकुल ग़लत और गैर दस्तूरी अंदाज़ था । इस स्क़ाम की वजह से हुकूमत को हज़ारों करोड़ रुपय का नुक़्सान हुआ था । सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अपोज़ीशन जमाअतें हुकूमत के ख़िलाफ़ तन्क़ीदों में सरगर्म होगई थीं और उन का कहना था कि ये फैसला दर असल हुकूमत की सरज़निश है ताहम हुकूमत का ये इस्तेदलाल है कि अदालत ने हुकूमत की सरज़निश नहीं की है ।

हुकूमत ने मंसूख़ शूदा लाईसेंस के दुबारा हराज की हिदायत का एहतिराम करते हुए इस पर अमल करने का ऐलान भी किया था । बी जे पी सी पी आई सी पी एम और दूसरी जमातों ने हुकूमत को तन्क़ीद का निशाना बनाते हुए इसे ज़िम्मेदारी क़बूल करने पर ज़ोर दिया था जबकि बी जे पी ने वज़ीर आज़म डाक्टर मनमोहन सिंह से इस्तीफ़ा का मुतालिबा भी किया था । हुकूमत ने तो इस इस्तीफ़ा का मुतालिबा मुस्तर्द कर दिया और ये भी कहा था कि अदालत के फैसले में हुकूमत की कोई सरज़निश नहीं हुई है ।

2G स्क़ाम और अदालत के फैसले की तफ़सीलात इस पर होने वाली सयासी तब्दीलियों से क़ता नज़र डाक्टर मनमोहन सिंह ने अवामी ज़िंदगी में शफ़्फ़ाफ़ियत और अवामी नुमाइंदों में जवाबदेही का एहसास पैदा करने की जो बात कही है वो वक़्त की अहम ज़रूरत है । क्रप्शन और रिश्वत-ओ-माली बे क़ाईदगीयाँ सिर्फ़ 2G स्पेकट्रम अलाटमैंट स्क़ाम तक महिदूद नहीं हैं। हिंदूस्तान में ज़िंदगी का शायद ही कोई शोबा एसा होगा जिस में कुरप्शन नहीं है । ख़ुद हुकूमत को इस बात का एतराफ़ है कि क्रप्शन हिंदूस्तान में अवामी ज़िंदगी की जड़ों तक उतरा हुआ है ।

ये इस हद तक संगीन नवीत इख़तियार कर गया है इस का फ़ौरी तौर पर ख़ातमा तो दौर की बात है इस पर क़ाबू पाना तक हुकूमत के बस की बात नहीं रह गई है । डाक्टर सिंह ने आज कहा कि इस ताल्लुक़ से ना सिर्फ मर्कज़ी हुकूमत को हरकत में आना चाहीए बल्कि इस सिलसिला में रियासतों के साथ भी तआवुन-ओ-इश्तिराक ज़रूरी है और रियासतों को भी मर्कज़ के साथ तआवुन करना चाहीए । हालिया अर्सा में क्रप्शन के जो मुआमलात सामने आए हैं और क्रप्शन के ख़िलाफ़ जद्द-ओ-जहद में मलिक के अवाम ने जिस जोश-ओ-जज़बा का इज़हार किया है इस से ज़ाहिर होगया है कि मुल्क में क्रप्शन की लानत के ख़िलाफ़ राय आम्मा किस हद तक उभरी हुई है ।

उसे मैं क्रप्शन की लानत को ख़तम करने और खासतौर पर अवामी ज़िंदगी में शफ़ाफ़ियत लाने और अवामी नुमाइंदों में जवाबदेही का एहसास पैदा करने की बाज़ाबता मुहिम शुरू की जानी चाहीए । ये भी एक हक़ीक़त है कि इस लानत के ख़ातमा में सिर्फ हुकूमत की कोशिशें कामयाब नहीं हो सकतीं। हुकूमतों को अपने तौर पर और अपनी सतह पर इस लानत के ख़िलाफ़ सरगर्म होना चाहीए लेकिन इस में सब से ज़्यादा ज़िम्मेदारी मलिक के अवाम की ही बनती है कि वो इस लानत के ख़ातमा का तहय्या कर लें और इस बात को यक़ीनी बनाएं कि क्रप्शन को पनपने की वो अपने इक़दामात के ज़रीया क़तई इजाज़त नहीं देंगे बल्कि इस के ख़ातमा केलिए जद्द-ओ-जहद करेंगे ।

मुल्क-ओ-क़ौम को दरपेश संगीन मसाइल का हल उस वक़्त तक मुम्किन नहीं होसकता जब तक इस ताल्लुक़ से अवाम में शऊर बेदार ना होजाए और अवाम इस के हल के लिए कमर कसते हुए मैदान में ना आ जाएं। मुल्क के अवाम को इस मुआमला में कई रास्ते दस्तयाब हैं जिन पर अमल करते हुए इस लानत को ख़तन करने में पेशरफ़्त की जा सकती है । सब से अहम और मूसिर ज़रीया अवाम का वोट है और अगर मलिक के अवाम ये तहय्या कर लें कि वो पैसा और ताक़त से मरऊब हुए बगैर महिज़ समाज में रिश्वत की लानत को ख़तम करने के अज़म के साथ पाक-ओ-साफ़ इमेज के हामिल और दयानतदार अफ़राद को अगर क़ानूनसाज़ी के ऐवानों तक भेजने का फैसला करते हैं तो फिर मुल्क से कुरप्शन की लानत का ख़ातमा ना मुम्किन नहीं रह सकता ।

अवाम को अपनी इस ज़िम्मेदारी की तकमील का अज़म बहरसूरत करना होगा की उनका अवामी सतह पर राइज कोई भी बुराई उस वक़्त तक ख़तम नहीं हो सकती जब तक ख़ुद अवाम इस का फैसला ना करलें। सिर्फ हुकूमतों पर इन्हिसार करना दानिशमंदी नहीं होगी और ना उस लानत को ख़तम किए जाने की कोई उम्मीद की जा सकती है ।