अवाम के E Mails और फ़ोन काल्स तक सेक्युरिटी एजेंसियों की पहुँच

नई दिल्ली, 21 जून: ( एजेंसी ) हिंदूस्तान ने भी अब एक वसीअ तर निगरानकार निज़ाम को क़तईयत दी है जिस के ज़रीया सेक्युरिटी एजेसियां और इनकम टैक्स महकमा के ओहदेदारान भी अवाम के ई मेल्स और फ़ोन काल्स की तफ़सीलात हासिल कर सकते हैं और इसके लिए उन्हें अदालतों की इजाज़त हासिल करनी भी ज़रूरी नहीं होगी ।

ज़राए ने ये बात बताई । सेंटर्ल मॉनीटरिंग सिस्टम का 2011 में ऐलान किया गया था ताहम इस पर कोई अवामी मुबाहिस नहीं हो सके थे और हुकूमत ने भी इस ताल्लुक़ से ज़्यादा कुछ मालूमात फ़राहम नहीं की हैं कि ये सिस्टम किस तरह से काम करेगा और ये वज़ाहत भी नहीं की गई है कि इसके ज़रीया अवाम को हरासाँ ( परेशान) नहीं किया जाएगा।

मालूम हुआ है कि जारीया साल अप्रैल से ही हुकूमत ने एक के बाद एक रियासत में इस सेंटर्ल मॉनीटरिंग सिस्टम पर अमल आवरी का आग़ाज़ कर दिया है । सरकारी ओहदेदारों ने बताया कि इस सिस्टम के तहत हिंदुस्तान भर में तक़रीबन 900 मिलियन लैंड लाइन और मोबाईल फ़ोन सारफ़ीन और 120 मिलियन इंटरनेट इस्तेमाल कुनुन्दगान का डाटा हासिल किया जा सकेगा ।

हुकूमत का कहना है कि इस सिस्टम के नतीजे में क़ौमी सलामती के तहफ़्फ़ुज़ में मदद मिल सकती है । एक सीनीयर ओहदेदार का कहना है कि हो सकता है कि इस सिस्टम की मुख़ालिफ़त हो लेकिन क़ौमी सलामती सबसे अहमियत की हामिल है और इसी को ज़हन में रखते हुए ये सिस्टम तैयार किया गया है जिस पर अमल आवरी का ख़ामोशी से आग़ाज़ भी हो रहा है ।

वज़ारत-ए-दाख़िला के तर्जुमान का कहना है कि उन के पास अभी इस सिस्टम की तफ़सीलात नहीं हैं इस ए वो अभी आवाम की तशवीश पर कोई तब्सिरा नहीं कर सकते । वज़ारत-ए-मवासलात की एक तर्जुमान ने ताहम सवालात के जवाब देने से गुरेज़ किया है ।

ओहदेदारों का कहना है कि अगर इस सिस्टम की तशहीर कर दी गई तो फिर इसको मूसिर नहीं रखा जा सकता इसीलिए इस ताल्लुक़ से राज़दारी बरती जा रही है । वज़ारत टेली मुवासलात के एक और सीनीयर ओहदेदार ने कहा कि मुल्क की सलामती अहमियत की हामिल है और तक़रीबन तमाम ममालिक में इस तरह के निगरानकार निज़ाम मौजूद हैं।

उन्होंने इस निगरानकार निज़ाम की मुदाफ़अत की और कहा कि इसके नतीजे में दहशतगर्द गिरफ़्तार किए जा रहे हैं जराइम की रोक थाम में मदद मिली है । इसके लिए आप को निगरानी की ज़रूरत है । इसके ज़रीये आप ख़ुद को और अपने मुल्क को बचा सकते हैं।

इस प्रॉजेक्ट में शामिल एक ओहदेदार ने शनाख़्त ज़ाहिर ना करने की शर्त पर ये बात बताई । कहा गया है कि इस निज़ाम के नतीजे में हुकूमत अब सारफ़ीन के फ़ोन काल्स सुन सकती है उन्हें टेप किया जा सकता है ई मेल्स पढ़े जा सकते हैं एस एम एस पढ़े जा सकते हैं ट्वीटर और फेसबुक पर पोस्ट्स का जायज़ा लिया जा सकता है और गूगल सर्च की सरगर्मियों को भी नज़र में रखा जा सकता है ।

कहा गया है कि 2012 में हिंदुस्तान ने सारिफ़ के ताल्लुक़ से मालूमात हासिल करने की गूगल को जुमला 4,750 दरख़्वास्तें रवाना की थीं। ये दरख़्वास्तें अमेरीका के बाद सब से ज़्यादा थीं। सेक्युरिटी एजेंसियों को अब इस सारे काम और निगरानी के लिए अदालत से इजाज़त हासिल करने की ज़रूरत नहीं होगी ।

अब हुकूमत को इसके लिए इंटरनेट और टेलीफोन सरविस पर वाईडर्स पर भी तफ़सीलात और डाटा के हुसूल के लिए इन्हेसार करना नहीं पड़ेगा । सरकारी ओहदेदारों ने कहा कि ख़ानगी टेली मुवासलात फर्म्स के अहातों में सरकारी डाटा सर्वर्स ( Servers) नसब किए जा रहे हैं जो फ़ोन काlस को सुन और टेप कर सकते हैं।

इस से हुकूमत को अपनी मर्ज़ी से और टेलीकॉम कंपनी को इत्तेला दिए बगैर फ़ोन काल्स की समाअत करने का मौक़ा हासिल रहेगा और वो टेप भी कर सकते हैं। कहा गया है कि क़ौमी सतह पर वज़ारत-ए-दाख़िला के ओहदेदारों और रियासती सतह पर उन के नामज़द करदा ओहदेदारों को किसी मख़सूस फ़ोन नंबर यह ई मेल निगरानी और हुसूल डाटा की दरख़ास्त को मंज़ूरी का इख्तेयार होगा ।

कहा गया है कि किसी का भी फ़ोन सुनने या टेप करने यह ई मेल तक रसाई हासिल करने से क़ब्ल मोतमिद दाख़िला को इंटेलीजेंस से कोई इत्तेला मिलनी ज़रूरी होगी ।