नई दिल्ली। 9 मार्च (पी टी आई) बी जे पी के लीडर एल के अडवाणी ने एतराफ़ किया है कि उन की पार्टी से अवाम किस क़दर बेज़ार होचुके हैं जिस के बारे में उन्हें सख़्त तकलीफ़ महसूस हुई है। नितीन गडकरी की बिलवासता मुज़म्मत करते हुए मिस्टर अडवाणी ने 2010के दौरान कर्नाटक में उस वक़्त के चीफ़ मिनिस्टर वाई एस यदि यूरप्पा के ख़िलाफ़ रिशवत सतानी के इल्ज़ामात से निमटने में पार्टी की तरफ़ से ग़लती की निशानदेही की।
मिस्टर अडवानी ने दी वीक को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि गुज़िश्ता साल के दौरान मुझे ये महसूस करते हुए तकलीफ़ हुई है कि अवाम का मौजूदा मूड अगरचे हुक्मराँ जमात के ख़िलाफ़ है लेकिन इस के साथ वो (अवाम) बी जे पी से भी किस हद तक बेज़ार हैं। साबिक़ नायाब वज़ीर-ए-आज़म अडवानी ने कहा कि बी जे पी से ये तवक़्क़ो की जा रही थी कि रिशवत को वो क़तई बर्दाश्त नहीं करेगी।
लेकिन कर्नाटक में हम जिन हालात से गुज़रे हैं, उन से मुझे काफ़ी मायूसी हुई है। इस बात पर उन्होंने वज़ाहत नहीं की लेकिन वो साफ़ तौर पर रिशवत के इल्ज़ामात का सामना करने वाले यदि यूरप्पा को हटाने के सवाल पर बी जे पी हाई कमांड के टाल मटोल और पस-ओ-पेश का हवाला दे रहे थे। यदि यूरप्पा की हुकूमत जुनूबी हिंद में बी जे पी की पहली रियास्ती हुकूमत भी थी लेकिन रिशवत सतानी के मज़ीद इल्ज़ामात पर उन्हें बिलआख़िर ओहदा से सबकदोश होना पड़ा था।
बी जे पी की गुज़िश्ता हफ़्ता यहां मुनाक़िदा चिंतन बैठक का हवाला देते हुए मिस्टर अडवाणी ने कहा कि वो अब इंतिहाई जज़बाती होगए हैं और बिलख़सूस अपनी पार्टी से अवाम की बेज़ारगी से वो काफ़ी मग़्मूम हैं। लेकिन इस के साथ उन्होंने कहा कि बी जे पी के मुस्तक़बिल के बारे में वो पुरउमीद भी हैं।