वॉशिंगटन, 4 सितंबर: पाकिस्तानी फौज और इंटेलिजेंस ओहदेदारान ने इंसानी हुकूक की कारकुन असमा जहांगीर के कत्ल का मंसूबा हिंदुस्तान में करने का बनाये थे। यह मंसूबा असमा की हिंदुस्तान दौरे के दौरान अमल में लाई जानी थी। यह दावा अमेरिकी मीडिया की एक रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका की खुफिया एजेंसियों को इस साजिश का पता चल गया था।
अमेरिकी सर्विलांस प्रोग्राम का खुलासा करने वाले विसिलब्लोअर एडवर्ड स्नोडेन से मिले दस्तावेजों की बुनियाद पर ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ ने इस दावे के साथ बताया है कि असमा को मारने का मंसूबा इसलिए रद्द करना पड़ा क्योंकि असमा को इसके बारे में पता चल गया था और उन्होंने यह जानकारी आम कर दी थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस ताल्लुक में खुफिया एजेंसियों को मई, 2012 में सुबूत मिले थे। टॉप सीक्रेट डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (डीआईए) की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है।
डीआईए ने हालांकि यह नहीं बताया है कि इस साजिश में कौन-कौन शामिल था, लेकिन इतना जरूर कहा कि यह काम दहशतगर्दों या पाकिस्तान में मौजूद मुजरिमो को दिया जाना था। अगर हिंदुस्तान में कत्ल करने की साजिश कामयाब नहीं होती तो उन्हें (असमा जहांगीर) पाकिस्तान में मार दिया जाता। डीआईए ने यह भी नहीं बताया कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने इस मंसूबे पर मुहर लगाई थी या नहीं। रिपोर्ट में हालांकि अंदाजा लगाया गया है कि आईएसआई को भी इसकी जानकारी थी।
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि भले ही पाकिस्तान का यह मंसूबा नाकाम हो गया हो लेकिन यह अपनी तरह का अकेला मामला नहीं है। यह तो सिर्फ एक मिसाल है कि किस तरह पाकिस्तानी फौज और इंटेलिजेंस लीडर एक्स्ट्राजुडिशल कत्ल को अंजाम देते हैं।
स्नोडेन की तरफ से वाशिंगटन पोस्ट को दिए गए दस्तावेजों में बताया गया है कि अमेरिका की खुफिया एजेंसियों को न सिर्फ असमा के कत्ल के मंसूबे के बारे में जानकारी थी बल्कि उन्हें पाकिस्तानी फौज और इंटेलिजेंस ओहदेदारान के निशाने पर रहे और भी कुछ मुश्तबा दहशतगर्दों और दूसरे फौजी आफीसरो के कत्ल के लिए बनाई गई इस तरह के कई खुफिया मंसूबे के इत्तेला थी।