असम की पहली दबंग लेडी IPS

जोरहाट: ब्यूटी विद द ब्रेन की मिसाल संजुक्ता पराशर दहशतगर्द के खिलाफ बहादुरी से लड़ रही हैं। असम की पहली खातून आईपीएस ऑफिसर संजुक्ता ने सिविल सर्विसेज में 85वीं रैंक हासिल की थी, वह चाहतीं तो आसानी से डेस्क जॉब कर सकती थीं लेकिन जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से पीएचडी होल्डर और दो साल के बच्चे की मां संजुक्ता ने पुलिस सर्विस की मुश्किल राह को चुना।

संजुक्ता की 2008 में पहली पोस्टिंग माकुम में असिस्टेंट कमांडेंट के तौर पर हुई थी, कुछ ही देर में उन्हें उदालगिरी में हुई बोडो और बांग्लादेशियों के बीच की नस्ली दंगे को काबू करने के लिए भेज दिया गया। अभी वह असम के जोरहाट जिले की एसपी हैं और मुसलसल असम के जंगलों में एके-47 थामे सीआरपीएफ के जवानों और कमांडों को लीड कर रही हैं।

गुजश्ता महीने उनकी टीम ने फौज के काफिले पर हमले करने वाले दहशतगर्दों की धरपकड़ की थी, साथ ही उन दहशतगर्दों को भी पकड़ा जो जंगल को अपने छिपने के लिए इस्तेमाल करते थे। ऐसी जगह पर ऑपरेशन को लीड करना बेहद मुश्किल था, यह इलाका बेहद खतरनाक है जहां मौसम में नमी रहती है और न जाने कब बारिश हो जाए, नदी और जंगली जानवर का खतरा हर वक्त सामने रहता है।

मुकामी लोग दहशतगर्दो को पुलिस के मूवमेंट की इत्तेला देते रहते हैं। पिछले कुछ महीनों में उनकी कियादत में 16 दहशतगर्दों को मार गिराया गया और 64 को गिरफ्तार कर गोला-बारूद बरामद किया है।

असम की पहली खातून आईपीएस होने के नाते उन्हें मालूम है कि वह किस तरह वहां की ख़्वातीन के लिए एक रोल मॉडल हैं और उन्हें एक उम्मीद की रोशनी मानती हैं। उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि सिविल ड्रेस में उन्होंने कैसे बस, स्कूल, कॉलेजों में छेड़खानी करने वाले मनचलों को पकड़ा था।