बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) से लाखों लोगों के नाम गायब होने को भाजपा तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की संकीर्ण और विभाजनकारी नीतियों का परिणाम बताते हुए आज कहा कि इस अनर्थकारी घटना से देश के लिये ऐसा उन्माद उभरेगा, जिससे निपटना बहुत मुश्किल होगा।
मायावती ने एक बयान में कहा कि भाजपा शासित असम में बरसों से रहने के बावजूद लाखों लोगों की नागरिकता सिर्फ इसलिये छीन ली गयी, क्योंकि वे अपनी नागरिकता के सम्बन्ध में कोई ठोस सबूत नहीं दे पाये। अगर वे प्रमाण नहीं दे सके तो इसका यह मतलब नहीं है कि उन लोगों से उनकी नागरिकता ही छीन ली जाये और उन्हें देश से बाहर निकालने का जुल्म ढाया जाये।
उन्होंने कहा कि भाजपा और संघ की संकीर्ण विभाजनकारी नीतियों का ही यह परिणाम है कि असम में ऐसा अनर्थ हुआ है। इस साल 31 दिसम्बर को अन्तिम सूची के प्रकाशन के बाद यह देश के लिये एक ऐसा उन्माद और सरदर्द बनकर उभरेगा, जिससे निपट पाना बहुत ही मुश्किल होगा।
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा ने 40 लाख से अधिक धार्मिक तथा भाषाई अल्पसंख्यकों की नागरिकता को लगभग समाप्त करके केन्द्र और असम में अपनी स्थापना का एक प्रमुख उद्देश्य प्राप्त कर लिया है।