जाली सेर्टिफिकेट पर मुलाज़मत पाने के कई किस्से हैं। जाली सिग्नेचर पर मगध यूनिवरसिटि के 22 कॉलेजों में प्रिंसिपल की तकर्रुरी का शायद यह पहला मामला है। नकली सिग्नेचर का मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
• पांच मेंबर से कोरम पूरा
ये टकर्रूरी गुजिशता साल मगध यूनिवरसिटि के मौजूदा वाइस चांसलर अरुण कुमार के इकतीदार के दौरान 2 मार्च, 2012 को की गयी थी। उनकी तकरुरी मौजूदा चांसलर देबानंद कुंवर ने की थी। प्रिंसिपल तकर्रुरी के लिए बनी इंतिख़ाब कमेटी सात मेंबरों की होनी चाहिए। मगर पांच मेंबरों से ही इसका कोरम पूरा हो सकता है। इस तरह सेलेक्शन कमेटी में पांच मेंबर थे। चासंलर के नुमाइंदे थे पटना यूनिवरसिटि में अंगरेजी के डॉ शिवजतन ठाकुर, हुकूमत के नुमाइंदे थे राज मुकुल, वाइस चांसलर अरुण कुमार, गया कॉलेज के प्रिंसिपल श्रीकांत शर्मा और संस्कृत यूनिवरसिटि के साबिक़ वाइस चांसलर ब्रहमचारी सुरेंद्र।
सलेक्शन कमेटी की तरफ से तैयार मेरिट लिस्ट पर जिन पांच मेंबरों के सिग्नेचर हैं, उनमें से एक डॉ शिवजतन ठाकुर ने विजिलेंस को लिखे खत में कहा है कि मेरिट लिस्ट पर उनका फर्जी सिग्नेचर किया गया है। ऐसा करनेवालों के खिलाफ मुकदमा दायर करने की दरख्वास्त उन्होंने मगध यूनिवरसिटि के वाइस चांसलर से भी किया है। विजिलेंस के डीएसपी महाराजा कनिष्क सिंह इसकी जांच कर रहे हैं। मालूम हो कि मेरिट लिस्ट जारी होने के बाद से ही डॉ ठाकुर एतराज़ जताते रहे हैं। उन्होंने इसे लेकर हुकूमत को खत लिखी। एससेंबली में हंगामा हुआ। उसके बाद इसे हुकूमत ने विजिलेंस को जांच के लिए सौंप दिया। इस महीने की 18 तारीख को डॉ ठाकुर ने विजिलेंस को लिख कर दे दिया कि मेरिट लिस्ट पर उनका सिग्नेचर फर्जी है।