असली हीरो: किमाने रत्नाकर

ऐसे वक़्त में जबकि सियासतदां रुसवाइयों का सामना कर रहे हैं कर्नाटक के एक 61 साला वज़ीर ने डूबती कार में फंसे एक ही ख़ानदान के 6 अरकान को बचाने सर्द झील में अपने गार्ड्स के हमराह कूद कर हीरो बन गए।

वज़ीर बराए सानवी तालीम क़ीमाने रत्नाकर अपनी सरकारी इन्नोवा गाड़ी में अपने आबाई टाउन थरथाहिली से बैंगलूर जा रहे थे कि उन्होंने एक कार को डूबता देखा। उन्होंने अपने क़ाफ़िले को रुक जाने की हिदायत दी। सुबह 7:00 बजे वज़ीर की गाड़ी थरथहल्ली से 20 कीलोमीटर के फ़ासिले पर बेगूवल्ली के क़रीब गुज़र रही थी कि एक सफ़ैद मारूति स्विफ़्ट कार उनकी गाड़ी को पीछे छोड़कर आगे बढ़ गई। तक़रीबन 15 मिनट बाद क़ीमाने की गाड़ी बेगूवल्ली झील के क़रीब पहुंची, वज़ीर ने महसूस किया कि वही स्विफ़्ट गाड़ी झील में डूब रही है। क़ीमाने, उन के गनमैन हलस्वामी, ड्राईवर चंद्रशेखर और एस्कार्ट गाड़ी के ड्राईवर कृष्णा मूर्ती फ़ौरी पानी में कूद पड़े।

ये चारों तैराकी करते हुए डूबती कार के पास पहुंचे जिस के सवार खिड़कियों से अपने हाथ लहरा रहे थे। चन्द्रशेखर ने पिछला दरवाज़ा खोला और तीन बच्चों को बाहर निकाला और अपने आदमियों की मदद से उन्हें बाहिफ़ाज़त झील के किनारे पर पहुंचा दिया। इस के बाद ये चारों दुबारा कार के पास पहुंचे तब तक गाड़ी झील की तहतक पहुंच गई थी। फिर उन्होंने दीगर सवारों बशमोल 55 साला ख़ातून को बचा लिया। वज़ीर ने तब तक डॉक्टर को बुला लिया, जिसने 40 साला उदय कुमार और उनकी अहलिया 35 साला सोमा, उनकी माँ 55 साला गीता और 14 और 8 बरस की उम्र के दो लड़के और एक तीन साला भतीजे का ईलाज किया।

वज़ीर ने अपने दोस्तों को भी तलब कर लिया और बचा लिए गए लोगों के लिए नाश्ता और अदवियात का इंतिज़ाम किया। उन्होंने अदए को बैंगलूर रवाना होने से क़ब्ल अपने कपड़े भी दिए। भद्रावती के साकिन उदय और एक इलेक्ट्रिकल गुड्स शाप के मालिक अपनी अहलिया के आबाई मुक़ाम किर्कला से वापिस लौट रहे थे। उन्होंने कहा कि ये उनके ख़ानदान का नया जन्म है। उन्होंने कहा कि वो नहीं जानते कि वज़ीर रत्नाकर का शुक्रिया कैसे अदा करें। उन्ही की कोशिशों की वजह से वो ज़िंदा हैं वर्ना हम सब 6 लोग डूब गए होते। उन्हों ने बताया कि वो का कुर्ला से 4:00 बजे सुबह रवाना हुए थे। बंड पर पहुंचने पर गाड़ी की इस्टेरिंग लॉक होगई और कार झील में गिर गई। खुली खिड़की से गाड़ी में पानी उतरना शुरू हुआ। उन्हों ने कहा मैंने दरवाज़ा खोलने और दूसरों को बचाने की हत्तलमक़दूर कोशिश की, मगर मेैं घबरा गया और बेहोश हो गया।

वज़ीर मिस्टर रत्नाकर ने कहा में जान गया कि क्या हुआ होगा और मुझे याद आया कि गाड़ी में बच्चे भी थे। दोनों ड्राईवर्स और गनमैन को अपने साथ लेकर में पानी में कूद पड़ा और उन्हें बचा लिया। मैं अपने तीनों साथियों को मुबारकबाद देता हूँ जिन्होंने तैर कर कार में मौजूद 6 लोगों की जान बचाई।