‘असहिष्णुता’ और ‘सहिष्णुता’ के बीच भारतीय समाज : जावेद अख्तर

कोलकत्ता : मशहूर शाइर और गीतकार जावेद अख्तर ने एक अदबी प्रोग्राम के दौरान कहा, “कुछ लोगों का कहना है कि समाज में असहिष्णुता खतरे के स्तर पर पहुंच गई है. मुझे इस बात पर यक़ीन नहीं है. कुछ लोग हैं जो कहते हैं कि कोई असहिष्णुता नहीं है. मुझे उन पर भी भरोसा नहीं है. असलियत इन दोनों के बीच है. सच्चाई यह है कि हिन्दुस्तानी समाज हमेशा से सहिष्णु था और है.”

अवार्ड वापसी पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि,”क्योंकि मैं जानता हूं कि यह पुरस्कार मुझे लेखकों ने दिया है तो मुझे इसे क्यों लौटाना चाहिए?” अख्तर ने कहा कि लेखक इस जूरी का हिस्सा होते हैं, न कि पुलिसकर्मी या नौकरशाह.

हालांकि उन्होंने ये ज़रूर कहा कि जो लोग अवार्ड वापिस कर रहे हैं वो किसी पॉपुलैरिटी के लिए नहीं बल्कि विरोध ज़ाहिर करने के लिए ही कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि “ मैं समझता हूं कि उन्होंने लोकप्रियता हासिल करने के लिए ऐसा नहीं किया. शायद उन्हें लगा कि इस तरह वह विरोध ज़ाहिर कर सकती हैं.’