असातिज़ा के ओहदा के लिए दरख़ास्त गुज़ार का उर्दू जानना ज़रूरी

मौलाना आज़ाद नैशनल उर्दू यूनीवर्सिटी ने तदरीसी अमले के तक़र्रुरात के लिए जारी करदा आलामीया(नो टिस) में तरमीम करते हुए उर्दू की लाज़िमी शर्त बहाल करदी है। प्रोफ़ेसर ऐच ख़दीजा बेगम रजिस्ट्रार इंचार्ज ने सहाफ़ती ब्यानमें बताया है कि यूनीवर्सिटी के 13 फरवरी 2012- को जारी आलामीया तक़र्रुरात नंबर 27/2012-ए-में तरमीम की गई है जिस की रु से तमाम तदरीसी ओहदों के लिए उर्दू लाज़िमी शर्त होगी।

उम्मीदवार कम अज़ कम ऐस एस सी एंटर या ग्रैजूएशन की सतह पर उर्दू पढ़ा हुआ हो। यूनीवर्सिटी ऐक्ट के मुताबिक़ दर्ज फ़हरिस्त तबक़ात और क़बाइल के लिए महफ़ूज़ ओहदों पर मुंतख़ब उम्मीदवारों के लिए मिस्रहा मुद्दत के दौरान किसी मुस्लिमा इदारा से सरटीफ़ीकेट कोर्स की तकमील लाज़िमी होगी। 10+2+3 तरीक़े से फ़ारि ग़उम्मीदवार जो मास्टर्स डिग्री के हामिल हूँ काबिल-ए-तरजीह होंगे।

तरमीम में मज़ीद वज़ाहत की गई कि तमाम ओहदों पर तक़र्रुर के मुआमले में बलिहाज़ ज़रूरत यूनीवर्सिटी को उर्दू की लाज़िमी हैसियत के सिवा अहलीयत तजुर्बा और उम्र की हद में रियायत का इख़तियार होगा। यहां इस बात का तज़किरा बेजा ना होगा कि यूनीवर्सिटी के अर्बाब ने तदरीसी अमले के मज़कूरा आलामीया में उर्दू की लाज़िमी शर्त के ताल्लुक़ से मोहिबान उर्दू के अंदेशों के पेशे नज़र गुज़शता हफ़्ता एक आला सतही कमेटी तशकील दी थी।

प्रोफ़ैसर सुलेमान सिद्दीक़ी प्रेफ़ैसर सय्यद शाह मुहम्मद मज़हर उद्दीन फ़ारूक़ी प्रोफ़ैसर आमना किशोर और प्रोफ़ेसर अबदुल क़य्यूम पर मुश्तमिल कमेटी ने आज ही वाइस चांसलर को अपनी सिफ़ारिशात पेश की हैं। कमेटी की रिपोर्ट की रोशनी में आलामीया तक़र्रुरात नंबर 27/2012 में आज तरमीम जारी करदी गई।

वाइस चांसलर ने तय्क्कुन दिया है कि तदरीसी अमले के तक़र्रुरात और यूनीवर्सिटी के उर्दू किरदार के मुआमले में किसी किस्म की मुफ़ाहमत का सवाल ही पैदा नहीं होता। यूनीवर्सिटी पार्लीमेंट के मिस्रहा इख़तियार के मुताबिक़ उर्दू के ज़रीया आला तालीम के फ़रोग़ का सफ़र जारी रखेगी।