वोटिंग करने के बावजूद छूट नहीं देने पर डॉक्टरों में गुस्सा है। डॉक्टरों का कहना है कि अस्पताल इंतेजामिया और डॉक्टर एक दूसरे के अहम कड़ी होते हैं। अस्पताल इंतेजमाइया ने आइएमए के दरख्वास्त पर छूट देने की ऐलान की थी।
इसके बावजूद छूट नहीं दी गयी, जो आइएमए के हिदायत का गैर खिलाफी है। दारुल हुकूमत के कई सीनियर डॉक्टरों ने इसकी सख्त मज़मत की है। उनका कहना है कि अस्पताल इंतेजामिया का यही रवैया रहा तो किसी क़िस्म की वाकिया होने पर डॉक्टर भी हिमायत नहीं करेंगे। उधर, आइएमए के सेक्रेटरी डॉ बीपी कश्यप के फैसला का दारुल हुकूमत के डॉक्टरों ने खैर मखदम किया है।
क्या कहते हैं डॉक्टर
डॉ कश्यप का इस्तीफा कबीले सताईश है। यह पुरअमन एहतेजाज है। आइएमए की हिदायत अस्पताल इंतेजामिया को मानना चाहिए था।
डॉ राघव शरण
आइएमए भी अपनी अहम किरदार निभायेगा। अस्पताल इंतेजामिया को मदद करना चाहिए था।
डॉ चंद्रकांत
यह एक हैरत अंगेज़ बात है। अस्पताल इंतेजामिया के रवैये से एक आइएमए में आला ओहदे पर रहते हुए डॉक्टर को इस्तीफा देना पड़ गया।
डॉ अजित सहाय