फिर मैं नज़र आया ना तमाशा नज़र आया
जब तू नज़र आया मुझे तनहा नज़र आया
उठ्ठे अजब अंदाज़ से वह जोश-ए-ग़ज़ब में
चढ़ता हुआ इक हुस्न का दरिया नज़र आया
किस दर्जा तेरा हुस्न भी आशोब-ए-जहां है
जिस ज़र्रे को देखा वो तड़पता नज़र आया
(असग़र गोण्डवी)
फिर मैं नज़र आया ना तमाशा नज़र आया
जब तू नज़र आया मुझे तनहा नज़र आया
उठ्ठे अजब अंदाज़ से वह जोश-ए-ग़ज़ब में
चढ़ता हुआ इक हुस्न का दरिया नज़र आया
किस दर्जा तेरा हुस्न भी आशोब-ए-जहां है
जिस ज़र्रे को देखा वो तड़पता नज़र आया
(असग़र गोण्डवी)