अहमक़ ?

दो बेवक़ूफ टहलते टहलते एक दरिया के पोल पर जा निकले वहां उन्हों ने एक ख़ूबसूरत लड़की को आँसू बहाते और बड़बड़ाते हुए देखा वो कह रही थी : मेरा महबूब मेरा दिलबर हर इतवार को इस जगह आकर मुलाक़ात करता है, लेकिन आज वो नहीं आया। लगता है कि वो मुझ से उकता गया है , बेज़ार होगया है या किसी और लड़की के जाल में फंस गया है। अब मेरे लिए मर जाना ही बेहतर है। ये कहकर उसने दरिया में छलांग लगा दी।

इस हादिसे पर इज़हार-ए-अफ़सोस करते हुए एक बेवक़ूफ ने कहा : ये औरत दुनिया की सब से अहमक़ मख़लूक़ थी।
तुम ठीक कहते हो दूसरे बेवक़ूफ ने कहा, वैसे ये बेहतर ना होता कि हम उस अहमक़ लड़की को बता देते कि आज इतवार नहीं हफ़्ता है!