अहलुवालिया की रिपोर्ट तन्क़ीद का निशाना

गरीबी ख़त ग़ुर्बत की नई तशरीह और इसके ताज़ा तरीन तख़मीना के मसला पर मंसूबा बंदी कमीशन के नायब सदर मोंटेक सिंह अहलुवालिया को लोक सभा में आज सख़्त तरीन तन्क़ीद का निशाना बनाया गया था । इस मसला पर ताज़ा तरीन तनाज़ा उनकी ताज़ा तरीन रिपोर्ट से पैदा हुआ है जिसमें गरीबी की सतह के ताएन् के लिए शहरों में फी कस यौमिया 28.65 रुपय सर्फ़ा का तख़मीना किया गया है । एन डी ए के कन्वीनर और जे डी यू के सदर शरद यादव ने बहस में हिस्सा लेते हुए कहा कि अहलुवालिया का तख़मीना बेद अज़ हक़ीक़त है।

अहलुवालिया बुनियादी हक़ाएक़ से बहुत दूर हैं मिस्टर शरद यादव ने सख़्त लब-ओ-लहजा इख्तेयार करते हुए कहा कि उन्हें (अहलुवालिया को) हटाए जाने की ज़रूरत से क्यों कर जब कभी वो कुछ कहते हैं वो ग़लत होता है । उन्हों ने कभी कोई अच्छी बात नहीं कहा है। इन के ताज़ा तरीन आदाद से कोई भी इत्तिफ़ाक़ नहीं कर सकता । शरद यादव ने सख़्त ब्रहमी के साथ कहा कि अगर आप इस तरह गरीबी ख़तम करना ही चाहते हैं तो गरीब को गोली मार दें या फिर उस (गरीब) को ज़हर दे दे ।

अपोज़ीशन लीडर सुषमा स्वराज ने इस मसला पर हुकूमत को तन्क़ीद का निशाना बनाया और कहा कि सिर्फ मंसूबा बंदी कमीशन को मौरिद इल्ज़ाम ठहराना ग़लत होगा की उनका ख़ुद वज़ीर-ए-आज़म ही इस के सरबराह हैं । श्रीमती स्वराज ने दावा किया कि इस की ज़िम्मेदारी मंसूबा बंदी कमीशन पर नहीं बल्कि हुकूमत पर आइद होती है । उन्होंने यू पी ए की सदर नशीन सोनिया गांधी से जो उस वक़्त इवान में मौजूद थीं, अपील की कि मंसूबा बंदी कमीशन के ताज़ा तरीन तख़मीना जात को मुस्तर्द कर दें।

गरीबी की शरह में कमी ना होने पर अफ़सोस का इज़हार करते हुए सुषमा स्वराज ने इल्ज़ाम आइद किया कि गरीबी को नहीं बल्कि गरीब का ख़ातमा करने की कोशिशें की जा रही हैं।