अहल ईमान(वालों) का मुक़ाम(मर्तबा)

बेशक परहेज़गार(बूरे कामों से बच्ने वालें) बाग़ों में और नहरों में होंगे। बड़ी पसंदीदा जगह में अज़ीम क़ुदरत(बडी ताकत) वाले बादशाह के पास (बैठे) होंगे। (सूरा अल क़मर।५४,५५)

अल्लाह ताला अपने मक़बूल(पसंदीदा) बंदों का ज़िक्र फ़र्मा रहा है(का ब्यान कर रहा है) कि वो जन्नतों मैं अबदी नेमतों(हमेशा रहने वाली नेमतो,उप्हार) से लुतफ़ अंदोज़ हो रहे होंगे(फाइदा उठा रहे होंगे) , मीठे पानी, शराब तुहुर(पाक शराब), मुसफ़्फा शहद(साफ मध) और ताज़ा दूध की नहरें बह(चल) रही होंगी।

हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ (रज़ी.) फ़रमाते हैं(ब्यान करते है) कि अल्लाह ताला ने इस जगह (मक़अद) को सिफ़त ए सिदक़ से मौसूफ़ फ़रमाया है(सच्चाइ के गूण के साथ जोडा है) , इस लिए वहां अहल सिदक़(सच्चे लोगों को) ही को बैठने की जगह मिलेगी।

इस नशिस्त गाह(बेठने कि जगह) को मक़अद ए सिदक़(सच्चे लोगों के बेठ्ने कि जगह) इस लिए फ़रमाया गया है(कहा गया है) कि ये वो मुक़ाम(जगह) है, जहां अल्लाह ताला ने अपने औलिया(नेक बंदों)के साथ जो वाय‌दा फ़रमाया(किया) है उसे पूरा फ़रमाएगा(करेगा)।

इस वक़्त उन आशीक़ान ए दिल्फ़िगार(सच्चे आशीकों) को इज़न ‍ए‍ आम होगा(आम इजाजत होगी) कि : ए आतिश इशक़ में जल्ने वालो(इशक कि आग में जल्ने वालो) ! ए शोक ए दीदार में माही बे आब की तरह उम‌र भर तड़पने वालो(देखने के शोक में पुरी जिंदगी बगैर पानि के मछ्ली कि तरह तड़पने वालो) ! महबूब अज़ल(हमेशा का महबुब) अपने रुख ज़ेबा से पर्दा उठा रहा है(अप्ना दिदार कराने वाले हैं), आँखें अठाओं और सैर होकर(अच्छी तरह) शाहिद राअना का दीदार करलो(उसे देखलों)।

अल्लामा कुरतुबी ख़ालिद बिन मादान‌ से नक़ल(ब्यान) करते हैं कि हमें ये ख़बर पहुंची कि क़ियामत के रोज़(दीन) दो फ़रिश्ते मोमीनीन (इमान वालों)के पास हाज़िर होंगे और कहेंगे ए अल्लाह के दोस्तो! तशरीफ़ ले चलिए। वो पूछेंगे किधर?। फ़रिश्ते कहेंगे जन्नत की तरफ़। अहल ईमान(इमान वालें) जवाब देंगे ए मलाइका(फरीश्तों)! तुम हमें उधर नहीं ले जा रहे हो, जो हमारी आरज़ू-ओ-तमन्ना(उम्मीद) थी।

फ़रिश्ते पूछेंगे तुम्हारी आरज़ू क्या थी?। अहल ईमान(इमान वालें) जवाब देंगे हम तो क़ुदरत(ताकत) वाले बादशाह की बारगाह में हाज़िर होना चाहते हैं।