वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने इज़हार-ए-अफ़सोस किया कि अक़लियतों की हालत बेहतर बनाने के लिए हुकूमत के इक़दामात उन तक नहीं पहुंच सके। उन्होंने पुर ज़ोर अंदाज़ में कहा कि अक़लियतों के लिए बहुत कुछ करने के इमकानात मौजूद हैं।
वज़ीर-ए-आज़म ने कहा कि यू पी ए हुकूमत ने सच्चर कमेटी की सिफ़ारिशात पर अमल आवरी के मक़सद से बहुत कुछ किया है लेकिन उन्हें ये कहते हुए अफ़सोस है कि इस के फ़वाइद अवाम तक नहीं पहुंचे वो अक़लियतों के लिए पेश की हुई स्कीमों के फ़वाइद उन तक ना पहुंचने के बारे में सवाल का जवाब दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि ये बातचीत होती रहती है कि अक़लियतों पर कांग्रेस की गिरफ्त ढीली पड़ चुकी है और इसके लिए हालिया इंतेख़ाबी नताइज का हवाला दिया जाता है जिन में अक़लियतों के नुमाइंदों का मुज़ाहरा इन नशिस्तों पर बेहतर नहीं रहा जहां अक़लियती राय दहनदों की अच्छी ख़ासी तादाद मौजूद है।
उन्होंने कहा कि एक ऐसे वक़्त जबकि अक़लियतों के लिए तहफ़्फुज़ात का मसला पेशे नज़र है। एस सी और एसटी का मौक़िफ़ मुसल्मानों को देने का मामला अदालतों में ज़ेरे अलतवा है ये भी सच है कि बाज़ इक़दामात हुनूज़ नहीं किए गए मनमोहन सिंह ने अक़लियती तलबा को वज़ाइफ़ और यू पी ए हुकूमत से वज़ीर-ए-आज़म के नए 15 नकाती प्रोग्राम के तहत अक़लियतों के लिए ख़ुसूसी तरक़्क़ियाती स्कीमों का तज़किरा किया।
उन्होंने कहा कि इस के बावजूद अक़लियतों केलिए मज़ीद बहुत कुछ करने का इमकान बरक़रार है। यू पी ए के 10 साला दौरा-ए-इक्तदार की रिपोर्ट जारी करते हुए वज़ीर-ए-आज़म ने कहा कि वो हमेशा अक़लियतों की फ़लाह-ओ-बहबूद को आली तरीन तर्जीह देती रही है और निशानदेही की कि 2004-2005 से जबकि यू पी ए बरसर-ए-इक़तेदार आई हैं अक़लियतों के लिए ख़र्च की जाने वाली रक़म में 10 गुना इज़ाफ़ा हो चुका है।
तरजीही शोबों का 15 फ़ीसद क़र्ज़ बैंकों की जानिब से दिया जा रहा है जो अब अक़लियतों तक पहुंच रहा है ताकि वो अपने छोटे कारोबार शुरू करसकें या मौजूदा छोटे कारोबार को तौसीअ दे सकीं।दर्ज फ़हरिस्त ज़ातों ,दर्जे फ़हरिस्त तबक़ात और अक़लियती तलबा को यू पी ए दौर-ए-हकूमत में 2 करोड़ से ज़्यादा वज़ाइफ़ मुख़्तलिफ़ प्रोग्रामों के तहत दिए जा चुके हैं।