अक़ामत दीन के लिए उल्मा को सरगर्म होने की ज़रूरत

करीमनगर, २७ जनवरी (ई।मेल) उलमा ए एकराम अनबया-ए-के हक़ीक़ी वारिस उसी वक़्त क़रार दिए जा सकते हैं जब वो हुज़ूर अकरम (स० अ० व०) की इत्तेबा में इक़ामत दीन की जद्द-ओ-जहद में मसरूफ़ हो जाएं। मौलाना मुहम्मद रफ़ीक़ क़ासिमी सेक्रेटरी जमात-ए-इस्लामी हिंद ने करीमनगर मैं मुनाक़िदा उलमा ए एकराम के ख़ुसूसी इजलास से खेताब करते हुए इन ख़्यालात का इज़हार किया।

इस इजलास में मुस्तक़र करीमनगर के उलमाए एकराम के इलावा ज़िला के मुख़्तलिफ़ मुक़ामात से आए हुए उलमाए एकराम भी मौजूद थे। मौलाना मुहम्मद रफ़ीक़ क़ासिमी उलमाए एकराम के सवालात का जवाब देते हुए कहा कि जमात-ए-इस्लामी हिंद का नसब उल-ऐन इक़ामत-ए-देन है और इस की तालीमात , इस्लाम की बुनियादी तालीमात तौहीद, रिसालत और आख़िरत पर मुहीत है और इंसान की इन्फ़िरादी ज़िंदगी से लेकर इजतिमाई ज़िंदगी , मुआशरती , समाजी ज़िंदगी और सयासी ज़िंदगी पर मुहीत है। जमात-ए-इस्लामी हिंद ने हमेशा मिल्लत-ए-इस्लामीया को इंतेशार से बचाने उम्मत मुस्लिमा को मुत्तहिद करने की कोशिश की।

मौलाना ने उलमाए एकराम से इस बात की ख़ाहिश की कि वो उम्मत मुस्लिमा को मुख़्तलिफ़ जमातों, फ़िरक़ों और मसलकों के ख़ानों में बांटने के बजाय उन को मुत्तहिद करने की कोशिश करें और उम्मत मुस्लिमा को जो मंसबी फ़रीज़ा है, इस को अदा करने के लिए ना सिर्फ उलमाए एकराम आगे बढ़ीं बल्कि उम्मत मुस्लिमा के हर फ़र्द को इस काम के लिए आमादा करें।

इस मौक़ा पर जनाब ख़्वाजा आरिफ़ उद्दीन अमीर हलक़ा जमात-ए-इस्लामी हिंद आंधरा प्रदेश, मौलाना तंज़ीम आलिम क़ासिमी उस्ताद दार-उल-उलूम सबील असलाम और मौलाना महबूब शरीफ़ निज़ामी और जनाब अबदुल रब मुजाहिद लतीफी मौजूद थे।

इस इजलास की कार्रवाई जनाब अबदुर्रहीम सलामी ने चलाई |