नई दिल्ली: मर्कज़ी वज़ीर मुख़तार अब्बास नक़वी ने आज कांग्रेस को तन्क़ीद का निशाना बनाया और कहा कि उन्हें अक़िलीयतों में ख़ौफ़-ओ-दहश्त का माहौल पैदा करने और सियासी मुफ़ादात केलिए गुमराह करने से बाज़ रखने की ज़रूरत है। कांग्रेस पर शदीद हमला करते हुए मिस्टर नक़वी ने इल्ज़ाम आइद किया कि आज़ादी के बाद से अक़िलीयतों की फ़लाह-ओ-बहबूद केलिए मुख़तस फंड्स मुनासिब तरीक़े से इस्तेमाल नहीं किए गए।
इस के बर ख़िलाफ़ दरमियानी आदमीयों और सियासी दलालों ने ये फंड्स लूट लिए। उन्होंने कहा कि अक़िलीयतों के सियासी इस्तिहसाल केलिए ख़ुद साख़ता सेकुलर में मुक़ाबला आराई पाई जा रही है जिस के बाइस अक़िलीयतों बिलख़ुसूस मुसलमानों की तरक़्क़ी का दावे सिर्फ़ काग़ज़ की ज़ीनत में हुआ है।
उन्होंने कहा कि अक़िलीयती बिरादरी बिलख़सूस मुसलमानों को चाहिए कि मर्कज़ी हुकूमत को उसकी कारकर्दगी की बुनियाद पर तजज़िया करें और उन लोगों की नज़र ना देखें जो कि मुस्लिम बिरादरी के
सियासी इस्तिहसाल के ज़िम्मेदार हैं। मिस्टर मुख़तार अब्बास नक़वी आज यहां सेंटर्ल वक़्फ़ भवन की इफ़्तेताही तक़रीब से मुख़ातिब थे जिस में मुमलिकती वज़ीर-ए-अक़लीयती उमूर मुहतरमा नजमा हेपतुल्ला भी शरीक थीं । उन्होंने सिलसिला तक़रीर जारी रखते हुए कहा कि गुज़िशता 6 अशरों में बहुत कुछ किया गया लेकिन अक़िलीयतों की समाजी मआशी और तालीमी तरक़्क़ी के मामले में इंसाफ़ नहीं किया गया क्योंकि दीगर वजूहात के अलावा वोट बैंक सियासत भी कारफ़रमा थीं जिसकी में मज़ीद वज़ाहत नहीं करना चाहता।
उन्होंने बताया कि आज़ादी के बाद अक़िलीयतों की तालीम तरक़्क़ी और फ़लाह-ओ-बहबूद के नाम पर करोड़ों रुपये मुख़तस किए गए हैं एक भी शख़्स इसका फ़ायदा हासिल करते हुए ख़त ग़ुर्बत से ऊपर उठ नहीं सका। क्योंकि ये फंड्स मुनासिब तरीक़े से इस्तेमाल नहीं किए गए दरमियानी आदमी और सियासी ब्रोकर्स ने ये रक़ूमात लूट लें।
अब हमें इन अनासिर की सरकूबी करनी होगी और हुकूमत ने इस सिम्त में कार्रवाई शुरू करदी है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी हुकूमत की ये अव्वलीन तर्जीह है कि एक एक पैसा अक़िलीयतों की भलाई पर सिर्फ़ किया जाए। मिस्टर नक़वी ने बताया कि वो कई रियासतों का दौरा करचुके हैं लेकिन एक भी रियासत में ये नज़र नहीं आया कि अक़िलीयतों की रक़ूमात का सही ढंग से इस्तेमाल किया गया है।
ये इल्ज़ाम आइद करते हुए साबिक़ कांग्रेस की ज़ेरे क़ियादत हुकूमत सिर्फ़ अक़िलीयतों के जज़बात की बात करती है मर्कज़ी वज़ीर नजमा हेपतुल्ला ने कहा कि अक्सरीयती फ़िर्क़ा के जज़बात को पेशे नज़र रखा जाये। जब बीफ पर पाबंदी के बारे में सवाल किया गया तो उन्हों ने कहा कि मेरी ज़िन्दगी का एक उसूल है मै किसी के जज़बात को मजरूह ना करूं। आई तो सिर्फ़ अक़िलीयतों के जज़बात की बात करते हैं यानी हमें अक्सरीयती फ़िर्क़ा के जज़बात का भी पास-ओ-लिहाज़ रखना चाहिए ।
मरकरज़ी वज़ीर ने कहा कि जो लोग गाय के बारे में ख़ुसूसी जज़बात रखते हैं उन्हें अक्सरीयती फ़िर्क़ा के जज़बात का एहतेराम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरे नुक़्ता-ए-नज़र में हम गज़ा में कुछ भी खा सकते हैं अगर बीफ पर पाबंदी आइद करदेने से आप के जज़बात क्योंकर मजरूह होसकते हैं? अगर आप के बीफ खाने से दूसरों के जज़बात मजरोम होते हैं तो ये मुनासिब नहीं है। उन्होंने कहा कि ये अमर बद बख्ता ना है कि पेशरू हुकूमत ने हमेशा अक़िलीयतों के जज़बात की बात करती थी लेकिन हमें हमारे पड़ोसीयों के जज़बात का ख़्याल करना चाहिए।