नई दिल्ली, ०३ फ़रवरी (पी टी आई) मर्कज़ की जानिब से पेश करदा आर्डिनॆन्स में शादीशुदा इस्मतरेज़ि पर भी इंतिहाई सख़्त सज़ाओं की तजवीज़ रखी गई है। शौहर और बीवी के दरमियान अलैहदगी के दौरान रजामंदी के बगै़र जिन्सी ख़ाहिश की तकमील पर शौहर को 7 साल क़ैद की सज़ा होगी। मर्कज़ी काबीना ने कल जो इंसिदाद इस्मतरेज़ि क़ानून के आर्डिनेंस की तजवीज़ को मंज़ूरी दी है इसमें ये गुंजाइश रखी गई है।
जस्टिस जे एस वर्मा कमेटी ने ताज़ीरात-ए-हिंद की दफ़ा 376A (अलैहदगी के दौरान आदमी का अपनी बीवी से जिन्सी ताल्लुक़) को हज़फ़ करने की सिफ़ारिश की है जिसके तहत ज़्यादा से ज़्यादा दो साल सज़ा सज़ा क़ैद की गुंजाइश है। इस कमेटी ने अज़दवाजी इस्मतरेज़ि को भी इस्मतरेज़ि के दायरा कार में लाने की राय दी है। ताहम हुकूमत ने इस दफ़ा को बरक़रार रखा लेकिन सज़ा की मुद्दत को दो साल से बढ़ाकर 7 साल उम्र क़ैद कर दिया है। वज़ारत-ए-दाख़िला के ओहदेदार ने बताया कि हम ने ताज़ीरात-ए-हिंद की दफ़ा को बरक़रार रखते हुए सज़ा में इज़ाफ़ा का फ़ैसला किया है ताकि जोड़े को मुसालहत का मौक़ा मिल सके।