एसेम्बली इंतिख़ाब में बीजेपी के खिलाफ अज़ीम इत्तिहाद की कार्रवाईयों में मसरूफ़ काँग्रेस का खुद का कुनबा बिखर सकता है। पार्टी के तीन एमएलए हाथ में कमाल थाम सकते हैं। इसकी आहट रियसती कियादत को मिल चुकी है। उन्हें मनाने की तमाम कोशिश नाकाम हो चुकी है। दो एमएलए गुमला हल्का से तो एक पलामू डिवीजन से ताल्लुक रखते हैं। बीजेपी के सीनियर लीडरान के साथ उनकी कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है। टिकट की गारंटी मिलने के साथ ही ये पार्टी बदल लेंगे।
दरअसल कोंगेस के सामने सबसे बड़ी मुश्किल अज़ीम इत्तिहाद की है इसमें कई सीटें फंस रही हैं जहां काँग्रेस का सीधा मुक़ाबला झारखंड मुक्ति मोर्चा से होता रहा है। ऐसी सीटों के लिए फिलहाल कोई फार्मूला नहीं निकाला जा सका है। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने ज़्यादा से ज़्यादा सीटों पर अपनी निगाहें मर्कुज रखी हैं। ऐसे में काँग्रेस की टिकट के दावेदार लोगों को झटका लग सकता है। सबसे ज़्यादा परेशानी संथाल परगना और कोलहान डिवीजन में होगी। ये दोनों डिवीजन जेएमएम के असर वाले हल्के माने जाते हैं।
हालांकि काँग्रेस की रियासती कियादत ने भरोसा दिलाया है की सीनियर लीडरान की सीटें निशानदेह करके जेएमएम से हिमायत की दरख्वास्त की जाएगी लेकिन जेएमएम के तेवर से आगाह लीडर अच्छी त्राह जानते हैं की वो पाने असर वाले हल्का में किसी आसानी से आने नहीं देंगे। काँग्रेस के दो ज़िला सदर हाल ही में पार्टी से अलग हो चुके हैं। लोक सभा इंतिख़ाब के फौरन बाद रामगढ़ ज़िला के सदर कुमार महेश सिंह ने पार्टी छोड़ दी थी।