श्यामा प्रसाद मुखर्जी को ख़राज के प्रोग्राम में कांग्रेसियों की अदम शिरकत पर आडवाणी दिल शिकस्ता
नई दिल्ली , 7 जुलाई (पी टी आई) बानी जिन सिंह श्यामा प्रसाद मुखर्जी को पार्लियामेंट में गुलहाए अक़ीदत पेश करने के प्रोग्राम में कांग्रेस एम पीज़ की अदम शिरकत पर दिल शिकस्ता बी जे पी लीडर एल के आडवाणी ने कहा कि सियासतदानों को क़ौम के अज़ीम अश्ख़ास के दरमियान पार्टी ख़ुतूत पर इमतियाज़ नहीं बरतना चाहीए।
कांग्रेस एम पीज़, स्पीकर मीरा कुमार और नायब सदर हामिद अंसारी की इस प्रोग्राम में गैरहाज़िरी नुमायां तौर पर महसूस की गई, जिसका एहतेमाम पार्लियामेंट के सैंटर्ल हाल में किया गया कि श्यामा प्रसाद को आज उनके यौम-ए-पैदाइश पर ख़िराज-ए-अक़ीदत पेश किया जाये।
इसका नोट लेते हुए आडवाणी ने बादअज़ां बी जे पी हैड क्वाटर्रज़ में कहा, क़ौम के अज़ीम शख़्सियतों को पार्टी ख़ुतूत पर इमतियाज़ का शिकार नहीं बनाया जाना चाहीए & सैंटर्ल हाल में, जब हम मुखर्जी को गुलहाए अक़ीदत पेश करने जमा हुए, मैंने कांग्रेस की तरफ़ से किसी को भी नहीं देखा।
मैंने नोट किया कि वो नहीं आए थे। आडवाणी ने लोक सभा अप्पोज़ीशन लीडर सुषमा स्वराज और उनके राज्य सभा हम मंसब अरूण जेटली के साथ पार्लियामेंट में मुखर्जी को ख़िराज-ए-अक़ीदत पेश किया। डिप्टी कारिया मुंडा, सदर जनता पार्टी सुब्रामणियम स्वामी, बी जे पी क़ाइदीन एस एस अहलुवालिया और राजेंद्र अग्रवाल वहां मौजूद क़ाइदीन में शामिल थे।
लोक सभा स्पीकर बिलउमूम इस तरह की तक़रीबात में शिरकत करती हैं। आडवाणी ने कहा, मुझे नहीं मालूम था कि कांग्रेस का एसा रवैय्या हो सकता है। अगर ये सहोन हुआ है तो कांग्रेस को इस्लाह कर लेना चाहीए। लेकिन अगर ये दानिस्ता हुआ तो अफ़सोस की बात है।
उन्होंने याद दिलाया कि जब मुजाहिद आज़ादी वीर सावरकर का पोर्टरेट पार्लियामेंट में लगाया गया, कांग्रेस क़ाइदीन ने खुले तौर पर उसकी मुख़ालिफ़त का ऐलान किया और इस प्रोग्राम का बाईकॉट तक किया हालाँकि सदर जम्हूरीया हिंद ने शिरकत की।
आडवाणी ने कहा कि श्यामा प्रसाद और भीम अंबेडकर को उस वक़्त के वज़ीर-ए-आज़म जवाहर लाल नहरू ने अपनी काबीना में महात्मा गांधी की ईमा पर शामिल किया था हालाँकि दोनों क़ाइदीन माज़ी में कांग्रेस के नाक़िद रहे थे और इस पार्टी से ताल्लुक़ नहीं रखते थे।
बी जे पी लीडर ने कहा कि गांधी जी का एहसास था कि मुखर्जी और अंबेडकर उन चैलेंजों और मसाइल से मुल्क को निकालने में बड़ा रोल अदा करसकते हैं, जो आज़ादी के वक़्त दरपेश थे। मुखर्जी बाद में काबीना से मुस्ताफ़ी होगए और मुतालिबा किया कि जम्मू-कश्मीर के लिए ख़ुसूसी मौक़िफ़ मंसूख़ करदेना चाहीए।
वो इस परमिट के ख़िलाफ़ थे जो तब रियासत में दाख़िले के लिए दरकार था और पठानकोट में गिरफ़्तार करलिए गए। वो जम्मू-कश्मीर में क़ैद रहे और जेल में इंतेक़ाल हुआ।