बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज इस्तिग़ासा से सवाल पूछते हुए कहा कि वो मर्कज़ी हुकूमत और हुकूमत महाराष्ट्रा से ये मालूमात हासिल करे कि आया उन पुलिस आफ़िसरान के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई की गई थी जब इंडियन मुजाहिदीन का दहशतगर्द अफ़ज़ल उस्मानी अदालत में पेश किए जाने के दौरान फ़रार होगया था।
अदालत ने ये जानने की भी ख़ाहिश ज़ाहिर की कि ख़ाती पुलिस आफ़िसरान के ख़िलाफ़ कोई मुआमला दर्ज किया गया था या नहीं,उन पुलिस आफ़िसरान की लापरवाही का नतीजा था कि जारिया साल 20 सितंबर को ज़ेर तसफ़ीया कैदी अफ़ज़ल उस्मानी ने अदालत में पेश किए जाने के दौरान राह फ़रार इख़तियार की थी।
ये हिदायत जस्टिस पी वे हरदास और पी एन देशमुख पर मुश्तमिल एक बेंच की जानिब से एक एन जी ओ के ज़रिया दाख़िल करदा मफ़ाद-ए-आम्मा की दर्ख़ास्त के सुनने के बाद की गई थी जिस में ये मांग किया गया थाकि अफ़ज़ल उस्मानी के फ़रार और इंडियन मुजाहिदीन और पुलिस की मुबय्यना साज़ बाज़ की एन आई ए से या सी बी आई से तहकीकात करवाई जाये।
जजस ने इस्तिग़ासा को पूरी मालूमात फ़राहम करने केलिए दो हफ़्तों की मोहलत दी है और मुआमला की समाअत को उस वक़्त तक मुल्तवी करदिया। यहां इस बात का तज़किरा दिलचस्प होगा कि मफ़ाद-ए-आम्मा की दर्ख़ास्त सिटीज़न फ़ोर्म की जानिब से दाख़िल की गई थी जहां ये इल्ज़ाम आइद किया गया था कि नवी मुंबई पुलिस ने अफ़ज़ल उस्मानी के फ़रार में नुमायां रोल अदा किया जो मुंबई शहर और बैरून ममालिक में बम धमाकों के ज़ाइद अज़ निस्फ़ दर्जन मुआमलात में मुलव्वस है।
दर्ख़ास्त में ये भी वाज़ह तौर पर तहरीर किया गया है कि कोई भी दहशतगर्द पुलिस के मदद के बगैर फ़रार नहीं होसकता। इस दर्ख़ास्त की CC नक़ूल मर्कज़ी हुकूमत, रियासती हुकूमत के इलावा नवी मुंबई पुलिस कमिशनर और दीगर को रवाना की गई हैं जिन से जवाबात मतलूब हैं। ये भी बताया गया है कि नवी मुंबई में ला एंड आर्डर की सूरत-ए-हाल हालिया दिनों काफ़ी इन्हितात पज़ीर हुई है कि कई संगीन जराइम का इर्तिकाब हुआ है जिस में बिल्डर सुनील लोहा रिया , संध्या सिंह (म्यूज़िक डायरेक्टर ललीत जैन की बहन ) के क़त्ल और तुलूजा जेल में फायरिंग का वाक़िया रुनुमा हुआ है।