नई दिल्ली १४ दिसम्बर: (पी टी आई) पार्लीमेंट पर हमला के वाक़िया को हालाँकि दस साल का अर्सा गुज़र चुका है और इस दौरान इस हमला के कलीदी मुल्ज़िम अफ़ज़ल गुरु को सज़ाए मौत भी सुनाई जा चुकी है जिस के बाद अफ़ज़ल गुरु ने सदर जमहूरीया को रहम की दरख़ास्त दाख़िल की थी।
अफ़ज़ल गुरु के इलावा दीगर 14 मुल्ज़िमीन की रहम की दरख़ास्तें भी सदर जमहूरीया के ज़ेर-ए-ग़ौर हैं। क़ानून हक़ मालूमात (RTI) से मुताल्लिक़ एक सवाल का जवाब देते हुए सदर जमहूरीया के सेक्रेटरेट ने ये कह कर अफ़ज़ल गुरु की दरख़ास्त रहम के लिए की जाने वाली ख़त-ओ-किताबत और फाईल नोटिस के इन्किशाफ़ से इनकार कर दिया कि वो तमाम कौंसल आफ़ मिनिस्टर्स, सैक्रेटरीज़ और दीगर अफ़सरान की रिकॉर्डिंग्स पर मुश्तमिल है।
जवाब में ये भी तहरीर किया गया है कि सदर जमहूरीया को अब तक रहम की 27 दरख़ास्तें मौसूल हुई हैं जिन में राजीव गांधी क़तल केस में सज़ाए मौत पाने वाले एक मुल्ज़िम की दरख़ास्त भी शामिल है। तमाम दरख़ास्तें सदर जमहूरीया 2008-ए-ता 2011-ए-मौसूल हुईं।
27 दरख़ास्तों के मिनजुमला, तीन दरख्वा तूं को मुस्तर्द कर दिया गया जबकि सज़ाए मौत पाने वाले दस मुल्ज़िमीन की सज़ाओं को उम्र क़ैद में तबदील कर दिया गया जबकि माबक़ी 14 दरख़ास्तें हनूज़ ज़ेर-ए-ग़ौर हैं। राजीव गांधी के क़ातिलों टी सोथीती राजा, सदी हिरन, जी पेरेरार् यवालन की दरख़ास्त रहम को सदर जमहूरीया ने 14 मार्च को मुस्तर्द कर दिया था।
अफ़ज़ल गुरु की दरख़ास्त रहम सदर जमहूरीया के ज़ेर-ए-ग़ौर है। सदर जमहूरीया के सकरीटरीट ने ये भी वाज़िह कर दिया कि दीगर मालूमात का अफ़शा-ए-RTI ऐक्ट के सैक्शन 8(1)(i) के तहत नहीं किया जा सकता।
लोक सभा में आज दस साल क़बल 13 दिसंबर 2001 को पार्लीमैंट पर दहश्त पसंदों के हमला को याद किया गया और शहीदी हासिल करने वाले उन लोगों को ज़बरदस्त ख़िराज-ए-अक़ीदत पेश किया गया जिन्हों ने हमला आवरों से लड़ते हुए अपनी जान अज़ीज़ निछावर की।
स्पीकर मीरा कुमार ने कहा कि दहश्त पसंदों के इस हमला को पार्लीमैंट के अहाते की हिफ़ाज़त करने वाले चौकस सलामती जवानों ने नाकाम बना दिया।